उदयपुर, शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रविवार शाम प्रसिद्ध राजस्थानी कथाकार विजयदान देथा की कहानी पर अधारित नाटक ‘‘टीडो राव’’ का मंचन किया गया जिसमें किस्मत के धनी टीडो की कथा को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या रंगाशाला में इलाहाबाद के रंगकर्मियों द्वारा विजयदान देथा की कहानी पर अधारित तथा अमिताभ श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘टीडोराव का मंचन किया गया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र अफसर हुसैन द्वारा नाट्य रूपांतरित नाटक एक रोचक प्रस्तुति बन सका। नाटक में टीडो एक निठल्ला सा किरदार है जिसका विवाह हो जता हैं जब वह ससुराल जाता है तो रास्ते में कुछ गधे नजर आते हैं उन्हें वह छिपा देता है। इसके बाद ससुराल में सास को रोटीयाँ बनाते देखता है जिसे वह गिन लेता है। बाद में रोटीयों की संख्या बताने पर उसे सम्मान मिलता है। इसके बाद गधे वाली को जब वह उसके खाये हुए गधों पता बताता है। तो उसकी खूब जयजयकार होती है। उसकी ख्याति से गांव का ठाकुर जलता है किन्तु वह उसे अपनेे यहां बुला कर उसकी परीक्षा लेता है जिसमें टीडो सफल हो जाता है और ठाकुर उसका भक्त बन जाता है। टीडो की ख्याति राजा तक पहुचती है तो वह उसे खोया हुआ हार ढूंढने बुलाता है नहीं ढूंढने पर फांसी का एलान करता है किस्मत से टीडो हार का पता लगा लेता है तथा राजा भी उसका भक्त हो जाता है उसे लोग संत मानने लगते हैं।
नाटक में कलाकारों का अभिनय उत्कृष्ट बन सका। टीडो की भूमिका मेंअकरम अली का अभिनय लाजवाब रहा वहीं राजा के किरदार में जुमर मुश्ताक तथा ठाकुर की भूमिका में रमेशचन्द्र विन्द का अभिनय दर्शकों को पसंद आया। सास के रूप में रूपाली श्रीवास्तव, ठकुराइन-ज्योति कुमारी, मां- आकाशी चौधरी, सुतुड़ी-अंजली सिंह, भाण्ड विनय कुमार के अलावा दीपक कुमार, ईश्वर तिवारी, आदि का अभिनय सराहनीय बन सका।