उदयपुर। हाईकोर्ट की खनन पर रोक के आदेश पर बजरी की कीमत ढाई गुना तक हो चुकी है। शहर में एक हजार रूपए टन तक में बजरी नहीं मिल रही है। अगले कुछ दिनों में कीमतें और बढ़ने की आशंका है।
खान विभाग ने बीती रात 12 बजे बाद बजरी खनन पर रोक लगा दी गई। रॉयल्टी ठेकों पर विभागीय पहरा लगा दिया गया। साथ ही उड़नदस्ते गठित कर अवैध खनन व निर्गमन पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। सोमवार को कोर्ट के आदेश के साथ ही बड़ी संख्या में वाहन खदानों में पहुंच गए। इनमें से कुछ वाहन मंगलवार को शहर के बाजारों में पहुंचे, लेकिन कीमत 1000 से 1200 रूपए टन तक वसूली गई अर्थात एक से सवा रूपए किलोग्राम रेत बेची गई। जानकारो ने बताया कि कुछ कारोबारियों द्वारा पिछले आदेश के बाद से ही बजरी स्टॉक करना शुरू कर दिया गया। चूंकि रॉयल्टी वाली रेत के स्टॉक पर कोई पाबंदी नहीं है। अत: इन लोगों के भारी किल्लत के दौरान ही बजरी बाजार में निकालने की संभावना है।
अग्रिम सुनवाई की अर्जी पर विचार
सूत्रों के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक नवम्बर को सुनवाई होगी। ट्रिब्यूनल में अग्रिम सुनवाई के लिए अर्जी दायर करने पर भी विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है। इसके लिए अतिरिक्त निदेशक
खान, जयपुर को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इस बीच, पता चला है कि इससे प्रभावित कुछ रॉयल्टी ठेकेदार इस मामले मेें सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं।
ये हो सकते है विकल्प
बीकानेर, कोलायत, नोखा आदि आसपास के जिलों में 260 हैक्टेयर क्षेत्र में पट्टा आधारित बजरी खदानें है। इस इलाके में 84 खदानें हैं। सिलिकॉन सैण्ड की लॉक क्वालिटी भी बतौर बजरी के रूप मे काम आ सकती है। सिलिकॉन सैण्ड भीलवाड़ा, ब्यावर, अजमेर, जयपुर आदि में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमंद में गिट्टी पाउडर इसका विकल्प हो सकता है। इन जिलों में गिट्टी क्रशर में भारी मात्रा में गिट्टी पाउडर उपलब्ध है।
रोज 54 लाख रूपए का नुकसान
न्यायालय के आदेश पर एकाएक रॉयल्टी ठेके व विभागीय नाके की वसूली थम गई। इसके पेटे विभाग को करीब 200 करोड़ रूपए मिलते हैं। इससे हर दिन विभाग को 54 लाख से अधिक का नुकसान होगा।