वल्लभनगर में भाजपा का टिकट मुद्दा बन गया है। वजह पिछले चुनाव में कांग्रेस के बागी रहे गणपत मेनारिया इस बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के बागी रणधीर सिंह भींडर ने भाजपा में टिकट बेचने का आरोप लगाया है।इसी सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शक्तावत भी भींडर के बयान से सहमति जता रहे हैं। उनका कहना है कि अचानक कांग्रेस के बागी को भाजपा का टिकट मिलना बड़ा सवाल है।
वल्लभनगर सीट से भाजपा के बागी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रणधीर सिंह भींडर का कहना है कि ‘मैं यस मैन नहीं हूं इसलिए कटारिया ने मेरा टिकट कटवा दिया। उदयपुर जिले में तीन सामान्य सीटें हैं, जहां कटारिया अपना यस मैन ही चाहते हैं। टिकट बेचा गया है। नहीं तो कल तक कांग्रेस का टिकट मांगने वाले को भाजपा का टिकट कैसे मिल सकता है?’ तारावट पंचायत में चुनाव प्रचार के दौरान फुर्सत निकलकर भास्कर संवाददाता के साथ बातचीत में भींडर ने अपने दिल की बात कही।
भींडर ने बताया कि ‘पहले यह माहौल बनाया गया कि संघ के पदाधिकारी मेरा विरोध कर रहे हैं, जब मैंने पदाधिकारियों से मुलाकात कर सच्चाई जानी तो खुद संघ के लोगों ने कहा कि हमने आपका कोई विरोध नहीं किया है। पार्टी के सर्वे में मेरा नाम सबसे ऊपर था।
कांग्रेस का टिकट मांगने वाले भाजपा के प्रत्याशी कैसे बन गए : शक्तावत
इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शक्तावत का कहना है कि ‘कल तक कांग्रेस का टिकट मांगने वाले अचानक भाजपा के प्रत्याशी कैसे बन गए। यह सवाल तो है। जनता ऐसे लोगों पर कैसे विश्वास करेगी। वाजमिया गांव में प्रचार के दौरान शक्तावत ने यही बात कही ,उन्होंने बताया कि क्षेत्र में लोग आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा का टिकट पैसा देकर खरीदा गया है। वरना ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि मेनारिया को अचानक टिकट मिल गया। उन्होंने बताया कि मेनारिया कभी कांग्रेस का बागी बन चुनाव लड़ते, कभी कांग्रेस से टिकट मांगते और कभी भाजपा का टिकट ले आते। यह बात कार्यकर्ताओं को समझ आ रही है। उनका मानना है कि भाजपा प्रत्याशी व बागी दूसरे व तीसरे नंबर के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
पैसे से टिकट मिलता तो टाटा, बिड़ला भी ले आते : मेनारिया
वल्लभनगर सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गणपत लाल मेनारिया का कहना है कि ‘अगर ऐसे टिकट बिकते तो टाटा, बिड़ला भी चुनावों में टिकट ले आते। भाजपा ने मुझे लायक समझा, तभी तो प्रत्याशी बनाया है। विधानसभा क्षेत्र के नया राजपुरा गांव में प्रचार के दौरान जब मेनारिया से भींडर के आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने यह जवाब दिया। भाजपा के बागी प्रत्याशी रणधीर सिंह भींडर के मुकाबले में होने के मामले में मेनारिया ने कहा कि उनका मुकाबला तो कांग्रेस प्रत्याशी से है। मेनारिया ने कहा कि ‘मैं भी निर्दलीय चुनाव लड़ा, मगर निर्दलीय का कोई वजूद नहीं होता। लोग वोट नहीं देते। पार्टी को ही वोट मिलते हैं। इसलिए मैं भी राष्ट्रीय पार्टी से टिकट लाया हूं।
संघ नहीं चाहता था कि भींडर को टिकट मिले : कटारिया
उदयपुर/जयपुर. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि भाजपा हाईकमान ने सारे विरोध और अभियानों के बावजूद वसुंधरा राजे को भावी मुख्यमंत्री तय कर दिया है। उन्होंने कहा-मुख्यमंत्री कौन होगा, ये सवाल पूछकर मुझे मत लड़वाओ। अब बार-बार मैं इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता। कटारिया बुधवार को भास्कर से मुखातिब थे। उदयपुर शहर विधानसभा सीट के प्रत्याशी कटारिया बेबाक बयानी के लिए जाने जाते हैं। पेश है उनसे बातचीत…
क्या टिकट वितरण सही हुआ है?
वल्लभनगर व धरियावद को लेकर जरा असंतोष है। पार्टी वल्लभनगर में रणधीरसिंह भिंडर को टिकट देना चाहती थी, लेकिन संघ के कारण गणपत मेनारिया को टिकट दिया है। वे बीजेपी बेस्ड नहीं हैं, लेकिन जातिगत समीकरण उनके ही पक्ष में बन रहे थे। भिंडर की दावेदारी थी। वे राजपूत हैं, लेकिन पहली बार भाजपा ने गैरराजपूत को टिकट दिया है।
संघ उनका विरोध क्यों कर रहा था?
संघ का कहना था कि पिछली बार वल्लभनगर में भिंडर ने एमएलए रहते हुए संघ कार्यकर्ता की एक्सीडेंटल डेथ करवा दी थी। मैंने गृहमंत्री रहते हुए मामले की जांच भी करवाई थी, पर जांच में तथ्य सामने नहीं आए। पिछली बार भी संघ के विरोध के बावजूद भिंडर को टिकट दिया था। वे हार गए थे।
क्या आपने कटवा दिया भिंडर का टिकट ?
संघ का रुख इस बार भी वही था। भाजपा भी इस झंझट को मोल नहीं लेना चाहती थी।
और धरियावद में क्या हुआ?
धरियावद में हमारे कार्यकर्ता ही हमारे प्रत्याशी गौतमलाल मीणा के खिलाफ हैं। वहां नारायण भाई मीणा जो 77, 90 व 93 में एमएलए रहे हैं। वे चुनाव में खड़े हो गए हैं। हमारे वर्कर उनके साथ लग गए हैं।
आपने सुलह नहीं करवाई?
सुलह किससे करवाते, जब वर्कर सारे नारायण भाई के साथ हो गए।
पूरे राज्य के टिकट वितरण पर आपकी राय?
कुछ तो कमियां रहती ही हैं, लेकिन इस बार रिबेल बहुत कम है। पिछली बार तो 84 थे।
पूर्व अध्यक्ष रामदास अग्रवाल ने पत्र लिखा था कि जयपुर में बाहरी लोगों को ज्यादा टिकट दिए हैं, जयपुर के कार्यकर्ता कहां जाएंगे?
जब आपने घनश्यामजी को टिकट दिया था तो वे कहां के थे। मैं देलवाड़ा का हूं, जो राजसमंद में है। यूं तो मैं भी बाहरी हो गया। मेरा मेरे इलाके में वोट भी नहीं है। मैं तो फिर पक्का बाहरी हुआ।
कहा जा रहा है कि महिलाओं को कम टिकट दिए गए हैंं?
क्या वे पहले टिकट गिनकर देते थे। गणित के हिसाब से तो आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन आप टिकट वितरण को टिकट वितरण ही रहने दो। उसे गणित मत बनाओ।
किरोड़ी फैक्टर पर क्या कहना है?
यहां मेवाड़ पर तो कोई असर है नहीं। बाकी का मैं जानता नहीं।