उदयपुर । उदयपुर जिले में दो दिन से हो रही बेमौसम बारिश के दौरान झाड़ोल तहसील के दमाणा गांव में बिजली गिरने से मां-बेटी की मृत्यु हो गई। दोनों ही बारिश के अंदेशे से खेत में पड़ी गेहूं की फसल को सुरक्षित करने में लगी थी। इसी दौरान यह हादसा हुआ। इसके अलावा उदयपुर के मल्ला तलाई क्षेत्र की गांधी नगर कॉलोनी में भी एक घर पर बिजली गिरी। इससे मकान को नुकसान पहुंचा और जानमाल की हानि नहीं हुई। राजसमंद के सांगठ कलां में भी बिजली जनित हादसे में एक बकरी की मौत हो गई। इधर, उदयपुर शहर और आस-पास के क्षेत्र में दोपहर में गरज के साथ बारिश शुरू हुई और इसके बाद कभी तेज कभी धीम बारिश का दौर चलता रहा। कई स्थानों पर ओले गिरने के भी समाचार हैं। वहीं, इस बारिश ने किसान के चेहरे पर निराशा ला दी है। पूरे उदयपुर सम्भाग से खलिहान में रखी फलस के बिगड़ने की खबर है।
आमजन आश्चर्य में
अप्रेल महीने में गरजते बादलों और कड़कड़ाती बिजली के शोर ने शहरवासियों को आश्चर्य में डाल दिया है। तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने पारा पांच डिग्री गिरा दिया और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री पर आ पहुंचा। डबोक स्थित मौसम कार्यालय के अनुसार तीन मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई जबकि न्यूनतम पारा बीते दिन के 25.8 की अपेक्षा 20.7 डिग्री सेल्सियस पर आ टिका। वहीं, राजसमंद जिले में पिछले चौबीस घंटों में 6 मिमी बरसात दर्ज की गई।
बाड़े में गिरी बिजली, बकरी मरी
राजसमंद जिले के सांगठ कलां में बिजली गिरने से मोतीसिंह पुत्र हीरसिंह की बकरी की मृत्यु हो गई। उसके बाड़े में खड़ा पेड़ दो फाड़ हो गया।
फसल की चिंता ने पहुंचाया मौत के मुंह में
मगवास पंचायत के दमाणा तालाब गांव के खरणिया फला के देवीलाल वडेरा ने बताया कि दोपहर को बरसात की आशंका के कारण परिजन खेतों में पड़ी गेहूं की फसल को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में लगे हुए थे। इस दौरान लगभग चार बजे गड़गड़ाहट के साथ बिजली गिरी । हादसे में उसके छोटे भाई सुखलाल की पत्नी धरमी देवी (28) व उसकी पुत्री आशा कुमारी (8) गंभीर रूप से झुलस गई। इससे धरमी के सिर और आशा के सीने पर घाव हो गया। खरणिया फला से मुख्य मार्ग लगभग ढाई किलोमीटर दूर होने के कारण ग्रामीण व परिजन दोनों घायलों को खाट पर लिटाकर ला रहे थे, किंतु रास्ते में ही मां-बेटी की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई है।
दीवार क्षतिग्रस्त, बाल-बाल बचे
उदयपुर के मल्ला तलाई स्थित गांधीनगर में गोपाल कुमावत के मकान पर शाम पांच बजे के करीब बिजली गिरी लेकिन जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। पुत्र दीपेन्द्र कुमावत ने बताया कि तीसरे तल पर सीढियों के पास बिजली गिरी जिससे दीवार ढह गई।
बारिश ने खोली पोल
उदयपुर. सरकारी हो अथवा गैर सरकारी निर्माण कार्य, हमेशा साल नहीं दशकों को ध्यान में रख करवाया जाता है। इसके उलट, धरियावद क्षेत्र में लाखों रूपए खर्च कर बनाया गया एनिकट दूसरी बारिश भी नहीं झेल पाया और क्षतिग्रस्त हो गया। विभागीय अधिकारियों ने निर्माण गुणवत्ता की बजाय मामला बारिश के मत्थे डाल दिया। यहीं नहीं, सम्बन्घित अधिकारियों को बचाने के लिए गारंटी पीरियड की आड़ में ठेकेदार से मरम्मत भी करवा दी गई। सूचना के अधिकार के तहत विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी में केली गांव में एनिकट निर्माण व उसकी गुणवत्ता का यह सच सामने
आया है। गौरतलब है कि मनरेगा के तहत वर्ष 2010-11 में 25.05 लाख की लागत से इस एनिकट का निर्माण कराया गया था।
विभाग की ओर से बताया गया कि 10 से 11 सितम्बर 2011 तक धरियावद इलाके में भारी बारिश हुई। पढ़ें पोल ञ्च पेज 15
पानी के साथ तेज बहाव में जंगल से लकडियां व पेड़ भी बह कर आए। तेज बहाव को एनिकट झेल नहीं पाया और क्षतिग्रस्त हो गया। एनिकट का ओवरफ्लो टीबीएल से भी लगभग डेढ़ मीटर ऊपर चला गया। इसी कारण एनिकट को नुकसान हुआ।
गत वर्ष का हवाला
विभाग की ओर से गत वर्ष की बारिश का हवाला भी देकर अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया गया। इसमें बताया कि वर्ष 2010 में भी एनिकट पर लगभग 20 से 30 सीएम चादर चली। वष्ाü 2011 में भी पांच अगस्त के ब ाद से चादर चली। कनिष्ठ अभियंता व कर्मचारियों ने एनिकट का लगातार निरीक्षण किया, लेकिन किसी भी क्षति की पुष्टि नहीं हुई। जानकारों का कहना है कि किसी भी प्रकार के सरकारी निर्माण के क्षतिग्रस्त होने पर उसकी सीडी बनाए जाने का प्रावधान है, लेकिन यहां ऎसा नहीं किया गया, क्योंकि इससे पूरे निर्माण की पोल खुल सकती थी। जल संसाधन विभाग जाखम परियोजना खण्ड धरियावद के अधिशासी अभियंता ने उच्चाधिकारियों को भेजे पत्र में माना कि क्षतिग्रस्त एनिकट की सीडी नहीं बनाई जा सकी, लेकिन निर्माण ठेकेदार से एनिकट की मरम्मत करवा दी, जिससे सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ।
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