उदयपुर। विद्यालय की जर्जर इमारत के नव निर्माण के लिए बजट मंजूरी के साथ काम शुरू हुआ, लेकिन एक किश्त के बाद विभाग द्वारा धन उपलब्ध नहीं करवाने पर ठेकेदार को मजबूरन काम रोकना पड़ा। अब विद्यार्थी जर्जर कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय माध्यमिक है और उसका पूरा कार्यालय एक कमरे चल रहा है। पहाड़ की तलहटी में बने इस विद्यालय परिसर में बारिश के मौसम में चट्टान खिसकने की आशंका बनी रहती है। दुर्घटना के हालात में जान-माल का नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा। यह हालात हैं उदयपुर जिले की काशी कहलाने वाले कैलाशपुरी गांव के सरकारी माध्यमिक विद्यालय के।
राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैलाशपुरी के भवन निर्माण के लिए 80 लाख रूपए स्वीकृत हुए। इसी के चलते स्कूल निर्माण का कार्य ठेकेदार को दे दिया गया। ठेकेदार ने निर्माण कार्य की शुरूआत 15 फरवरी 2013 को पुराने भवन को गिरा कर की और 31 अगस्त 2013 तक नींव डालने के बाद निर्माण कार्य रोक दिया।
…तो अच्छा होता
विद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी जो विद्यालय निर्माण कार्य शुरू होने से प्रसन्न थे, उन्हें आज लग रहा है कि कार्य ना ही शुरू हुआ होता तो ही अच्छा था। विशेषकर महिला शिक्षक व छात्राओं को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। छात्राओं ने बताया कि जो पुराना शौचालय था, उसे निर्माण के नाम पर तोड़ दिया गया और नए का निर्माण अधूरा है, इस कारण उन्हें परेशानी होती है।
सब कुछ एक कमरे में
विद्यालय के प्रधानाध्यापक कन्हैयालाल श्रीमाली ने बताया कि कम कमरे होने के कारण एक ही कमरे में स्टोर रूम, कम्प्यूटर रूम, स्टाफ रूम व प्रधानाध्यापक कार्यालय बनाया गया है। ग्राम पंचायत कैलाशपुरी के उप सरपंच अशोक मोड़ ने विभाग व विद्यालय से जब विद्यालय के निर्माण कार्य अधूरा रहने की बात पूछी तो ठेकेदार ने बताया कि राशि के अभाव में काम रोकना पड़ा।
बजट में देरे से रूका काम
मोड़ ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग बीकानेर व वित्त विभाग बजट में देरी का ठीकरा सभी विभाग एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं।
राशि मंजूर हो गई है, लेकिन किसी कारण से शिक्षा विभाग ने ठेकेदार को एक किश्त के बाद राशि ही नहीं दी, इसलिए कार्य रोक दिया गया।
कन्हैया लाल श्रीमाली, प्रधानाध्यापक, राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैलाशपुरी
यदि कार्य आचार संहिता समाप्त होने से पहले नहीं किया गया तो संबंधित विभाग के मंत्री से चुनाव के बाद संपर्क किया जाएगा और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। अशोक मोड़, उप सरपंच, कैलाशपुरी
ये हैं खतरे में
विद्यार्थियों की संख्या – 150 लगभग
श्ौक्षणिक स्टाफ- 10 व्यक्ति
गैरश्ौक्षणिकस्टाफ- 4 व्यक्ति
बजट – 80 लाख रूपए
मिला- 20 लाख रूपए
काम हुआ- 20 फीसदी
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