सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ अदालत ने केंद्र सरकार को हुक्म जारी किया है कि वो किन्नरों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मुहैया करवाए. अदालत का कहना था कि वो सामाजिक रूप से एक पिछड़ा समुदाय है.
कोर्ट ने कहा है कि किन्नर इस देश के नागरिक हैं और उन्हें भी शिक्षा, काम पाने और सामाजिक बराबरी हासिल करने का पूरा हक़ है.
अदालत ने कहा कि वो किन्नरों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर चिंतित है.
आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया है कि वो इसमें स्थिति में सुधार करे. वकील संजीव भटनागर ने कहा कि फ़ैसले के बाद किन्नरों को पिछड़े वर्गो की श्रेणी में गिना जाएगा और इसके तहत उन्हें आरक्षण और दूसरी तरह की सुविधाएं हासिल होंगी.
संजीव भटानागर का कहना था कि ये सुविधाएं उन्हें शिक्षा, नौकरियों, सार्वजनिक जगहों, यातायात और परिवहनों में भी मिलेंगी.
याचिकाकर्ता लक्ष्मी त्रिपाठी ने अदालत के फैसले पर ख़ुशी जताई. उन्होंन कहा, “मैं ख़ुश हूं कि आज हमें भी महिला और पुरूषों की तरह समान अधिकार दिए गए हैं.”
सो. बी बी सी
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