उदयपुर. शॉपिंग के दौरान आप जिस चीज को एमआरपी चुकाकर ला रहे हैं वो वजन में कम हो सकती है। ये चीज चाहे खुली हो या पैक। छोटी दुकान, जनरल स्टोर हो या शॉपिंग मॉल। तौल में गड़बड़ी की शिकायतें सभी जगह से आ रही हैं। परंपरागत कांटे-बाट ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक स्केल और ब्रांडेड कंपनियों की पैकिंग में भी वजन कम आ रहा है। जल्दबाजी में रहने वाले उपभोक्ता इसका ध्यान नहीं रखते। तौल को सही रखने की जिम्मेदारी वाला विभाग भी कम स्टाफ और फौरी कार्रवाई के बूते कुछ कर नहीं पा रहा है।
सूरजपोल चौराहा स्थित एक मिठाई की दुकान पर इसका एक ताजा उदाहरण देखने को मिला। दुकानदार ने काउंटर कांटे के दोनों पलड़ों को जोडऩे वाली बीम के बीच 20 से 50 ग्राम का बाट फंसाया हुआ था। जब ग्राहक ने इस पर आपत्ति की तो दुकानदार ने बिना कोई कारण बताए बाट तुरंत हटा लिया। इस ग्राहक ने बाट-माप एवं तोल विभाग में शिकायत दी। सूरजपोल क्षेत्र में मिठाई की एक दुकान पर तराजू में कुछ इस तरह फंसाया हुआ था बाट। एक ग्राहक ने यह ठगी पकड़ी।
जागरूक उपभोक्ताओं ने उपभोक्ता मंच से पाया न्याय
केस-1 : 55 ग्राम कम निकला था डिटर्जेंट पाउडर
गत वर्ष हिन्दुस्तान यूनी लीवर कंपनी को 55 ग्राम डिटर्जेंट पाउडर का पैकेट बेचना महंगा पड़ा। बाट माप एवं तोल विभाग ने भी कम वजन पाया और कंज्यूमर कोर्ट ने एक लाख क्षतिपूर्ति राशि ग्राहक को दिए जाने के आदेश दिए।
केस-2: मॉल से खरीदे टूथब्रश के वसूले 10 रुपए ज्यादा
कुशल रावल ने बिग बाजार से 69 रुपए एमआरपी का टूथब्रश खरीदा था, लेकिन 79 रुपए वसूले गए। उपभोक्ता मंच ने परिवाद व्यय के साथ 3 हजार रुपए अदा किए जाने के निर्देश दिए।
8 हजार व्यापारिक संस्थान, जांच अधिकारी 1
विधिक माप विज्ञान विभाग में मात्र एक विधिक माप विज्ञान अधिकारी हैं जिन पर उदयपुर के 5 हजार और बांसवाड़ा के 3 हजार व्यापारिक संस्थानों के जांच का जिम्मा है। नियमानुसार 1500 व्यापारिक संस्थान पर 1 जांच अधिकारी होना जरूरी है। उदयपुर में 2013-14 में 170 चालान काटे गए। 70 मामलों की सुनवाई के बाद 1 लाख 57 हजार रुपए जुर्माना वसूला गया। इसमें पैकिंग प्लांट, इंडस्ट्री, पेट्रोल पम्प, मॉल एवं अन्य व्यापारिक संस्थान शामिल हैं।
व्यापारिक संगठन भी हैं उपभोक्ताओं के हक में
॥कृषि मंडी कार्यालय में कई ग्राहक शिकायत करते हैं, लेकिन गंभीरता से नहीं लिया जाता। विधिक माप विज्ञान विभाग से वेरिफिकेशन कराने के बाद भी कई व्यापारी गड़बड़ी करते हैं, जिनकी जांच नहीं होती। हमारे संघ से जुड़े व्यापारी अगर ऐसा करते हैं तो उस पर जरूर कार्रवाई की जाएगी।- मुकेश खिलवानी, सब्जी फूड व्यापार संघ
जानना जरूरी है
प्रोडक्ट या सेवा का मूल्य तथा हर्जाने के लिए चाही गई रकम 20 लाख रुपए तक होने पर जिला मुख्यालय स्थित जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच में।
20 लाख से 1 करोड़ रुपए होने पर राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग और एक करोड़ से अधिक होने पर राष्ट्रीय आयोग में।
शिकायतकर्ता तथा जिसके खिलाफ शिकायत करनी है उसका पूरा नाम और पता।
प्रोडक्ट एवं सेवा का विवरण।
शिकायत संबंधी दस्तावेज खासकर बिल आदि लगाने होंगे।
शिकायतकर्ता या फिर उसके एजेंट के हस्ताक्षर
कोई बिल नहीं दे रहा है तो उपभोक्ता मंच, विधिक माप विज्ञान विभाग में शिकायत करें।
खरीदारी करते समय ये रखें ध्यान
माल को खरीदते समय पैकेट पर लिखे विवरण को ध्यान से पढ़ें।
माल का कैश मेमो ((रसीद)) जरूर लें। आईएसआई, एगमार्क एवं प्रोडक्ट्स की उत्पादन तिथि को जरूर देख लें।
काउंटर एवं इलेक्ट्रॉनिक कांटा, तराजू तथा बाट पर नजर रखें।
ये है हकीकत
5 हजार व्यापारिक संस्थान हैं जिले में
170 व्यापारियों के चालान काटे इस वर्ष
6 साल में सजा किसी को नहीं, सिर्फ जुर्माना
8 हजार व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए अधिकारी सिर्फ 1
1500 प्रतिष्ठानों पर होना चाहिए एक अधिकारी
70 मामलों में वसूला जुर्माना