उदयपुर। कालेधन को बाहर निकालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से 2005 से पहले के सभी नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिए भले ही आदेश जारी हुए 10 दिन से अधिक हो गए हो, लेकिन यह आदेश अभी तक स्थानीय बैंक शाखाओं के पास नहीं पहुंचे हैं। इसके चलते लोगों से नोट लेना तो दूर, खुद बैंक ऐसे नोट लोगों को दे रहे हैं। शहर के सभी बैंकों के प्रबंधक असमंजस में है, क्योंकि उनके पास अभी तक इन नोटों को लेकर कोई दिशा-निर्देश रिजर्व बैंक से नहीं आए हैं।
फरवरी तक चल सकेंगे : आरबीआई के आदेशों के तहत 2005 से पहले के नोट फरवरी माह तक ही चल सकेंगे। इसके बाद लोगों को ये नोट बैंकों में जमा करवा 2005 के बाद की करेंसी लेनी होगी। ऐसे में काम कैसे होगा? इस संबंध में भी आरबीआई की तरफ से इस बारे में कोई निर्देश अभी तक नहीं पहुंचे हैं।
सामान्य काम-काज पर पड़ेगा असर : बैंक सूत्रों के अनुसार 2005 से पहले के नोटों की करेंसी करोड़ों में हैं। ऐसे में इनकी छंटनी के लिए अलग से कर्मचारियों की व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति नोटों की एक गड्डी लेकर बैंक में जमा कराने पहुंचेगा, तो उस गड्डी में 2005 से पहले के कितने नोट हैं। उन्हें ढूंढने के लिए अभी तक कोई आधुनिक मशीन भी नहीं आई है। ऐसे में बहुत अधिक समय खर्च होने के साथ ही लंबी लाइनें भी लग जाएगी और बैंकों के सामान्य काम काज पर भी असर पड़ेगा।
करोड़ों नोटों को छांटने की चुनौती : रिजर्व बैंक के आदेशों की पालना करना बैंकों के बड़ी चुनौती होगी। नोटों के बंडलों में 2005 से पहले के नोट छांटकर अलग करना टेढ़ी खीर साबित होगी। कई बैंक अधिकारियों का कहना है कि यह काम आसान नहीं है। इससे पहले भी एक आदेश आया था, जिसके तहत शेर छाप नोटों का प्रचलन बंद करना था और मकसद गांधी छाप नोटों का प्रचलन करना था। उस समय नोटों की छंटनी करना बहुत मुश्किल नहीं था, लेकिन इस बार हर नोट पर अंकित सन् को देखना होगा, जो काफी मुश्किल है।
बैंकों ने ही बंद नहीं की २००५ से पहले की क रेंसी!
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