उदयपुर। बोहरा समुदाय के धर्मगुरु डॉ सैयदना बुरहानुद्दीन के देहावसान के बाद आम जन उनके शोक से अब तक उबर नहीं पाए, वहीं, धर्मगुरु के पुत्र मुफद्दल भाई साहब तथा उनके माजून खोजेमा कुतबुद्दीन द्वारा खुद के 53वें धर्मगुरु होने के परस्पर दावे किए जा रहे हैं।
खोजेमा भाई साहब का कहना हैं कि उनको आज से 50 वर्ष पूर्व जब माजून अर्थात डॉ. सैयदना का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था, जो तभी से उनका उनका ओहदा निर्विवाद चला आ रहा है, जबकि मुफद्दल भाई साहब का कहना है कि उन्हें आज से दो वर्ष पूर्व उत्तराधिकारी घोषित किया गया है। बोहरा समुदाय के शास्त्रों में उत्तराधिकारी होने के लिए पुत्र होना आवश्यक नहीं है, बल्कि उत्तराधिकार के लिए अपने व अन्य धर्म शास्त्रों में पारगंत होना तथा मानवीय मूल्यों के लिए समर्पित होना आवश्यक है। विगत धर्मगुुरुओं के चयन में यही प्रक्रिया अपनाई जाती रही है।
विवाद का मूल कारण यह बताया जा रहा है कि वर्तमान मान्यताआें के अनुसार धर्मगुरु विश्व की समस्त दाउदी बोहरा समुदाय की संपत्तियों का एकल स्वामी होता है। इन अकूत संपत्तियों पर स्वामित्व पाने के लिए ही यह विवाद उत्पन्न हुआ है। बोहरा समुदाय में चल रहे सुधारवादी आंदोलनकारियों को एेसी स्थिति पैदा होने का पूर्वाभास था। इसलिये काफी समय से यह मांग की जाती रही है कि एकल स्वामित्व की व्यवस्था को समाप्त किया जाए, जिसकी कोई धार्मिक मान्यता नहीं है। इस पर कोई कार्रवाई न होने से अंतत: सुधारवादी बोहराआें ने वक्फ प्राधिकरण में वाद दर्ज किया है, जो कि न्यायालय में विचाराधीन है।
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