उदयपुर। उत्तेजना, घृणा, अफवाह फैलाने, चीजों को तोडमरोडकर माहौल बनाने और आक्रामकता में भाजपा का कोई मुकाबला नहीं है। भाजपा ये सब जुमले कांग्रेस के खिलाफ आजमाती है तब तक तो ठीक है, क्योंकि कांग्रेस बहुत पुरानी पार्टी है और लम्बे समय तक सत्ता में रहने के साथ ही उसमें कई प्रकार की बुराइयों, भ्रष्टाचार आदि ने जन्म ले लिया है और उसका नैतिक अध:पतन हुआ है। हालांकि बडबोलापन और आक्रामकता में वह अब भी भाजपा से पीछे है। फिर भी कांग्रेस के खिलाफ आवाज बुलन्द करने से जनता में कोई विभ्रम की स्थिति नहीं बनती है और भाजपा को अच्छा समर्थन भी मिल जाता है। लेकिन, नई नवेली आम आदमी पार्टी के खिलाफ वह जिस प्रकार से आक्रामक बनी हुई है और उसे घेरने की कोशिश कर रही है, उससे जनता में विपरीत संदेश जा रहा है। हर छोटी-छोटी बात को पकडकर जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश करना, पार्टी बनने से पहले के गडे मुर्दे उखाडकर लाना और भ्रम फैलाने की कोशिश करना, आप की सरकार कुछ जनहित के काम करने की कोशिश करती है तो उसमें छिद्रान्वेषण कर उसकी मजाक उडाने की कोशिश करना, आप के वादों को एक ही झटके में, सरकार बनते ही एक ही दिन में पूरा नहीं कर पाने के लिए कोसना, सौतन की तरह उसकी हर अच्छी बात में भी बुराई खोजने और उसका बुरे रूप में ढिंढोरा पीटने की कोशिश करना; ये सब भाजपा के स्वयं के लिए नुकसानदेह है।
भाजपा को सोचना चाहिए कि सरकार बनने के बाद व्यवस्था संभालने और 66 वर्षों में जड़ बनी भ्रष्ट व्यवस्था को सुधारने, जीवंत बनाने में कुछ तो वक्त लगेगा ही; फिर भी आप की सरकार ने सत्ता संभालते ही लोगों के लिए नि:शुल्क पानी, आधी दर पर बिजली उपलब्ध करवाने के लिए पहल की है, बेरोजगारों के लिए ऑटो के लाइसेंस देने का मार्ग प्रशस्त किया है, लोगों को जल्दी न्याय सुलभ करवाने के लिए 45 नई अदालतों का मार्ग प्रशस्त किया है, रेन बसेरों में गरीब आदमी न ठिठुरे इसके लिए कुछ तो व्यवस्था की है, नर्सरी स्कूलों में बच्चों के बिना डोनेशन प्रवेश के मामले में कुछ तो हस्तक्षेप हुआ है। संविदाकर्मियों को स्थाई करने के मामले में समयबद्ध कार्यक्रम बना है। इस तरह के और भी कई निर्णय हुए और हो रहे हैं। मात्र 15 दिन में इतना कुछ करना यह उपलब्धि नहीं है? क्या जिन राज्यों में भाजपा प्रचण्ड बहुमत में आई है, वहां सत्ता संभाले हुए एक माह हो गया, कुछ राज्यों में पहले से ही भाजपा का शासन है, किसी एक पखवाडे में या एक माह में भी इतना काम हुआ है? दिल्ली में भी सबसे बडे दल के नाते सरकार बनाने का पहला अवसर तो उसी को मिला, उसने नहीं बनाई और क्रक्रआप को बिना मांगे कांग्रेस ने आगे बढकर समर्थन दिया और उसके घोषणा पत्र की 18 शर्तों का बिना शर्त समर्थन किया, तो क्रक्रआपग ने सरकार बनाई और वह अपनी घोषणा व क्षमता के अनुरूप काम कर रही है।
इससे भाजपा के पेट में उकाले नहीं उठने चाहिए और साल-दो साल के अवसर के बाद या कोई बडी गलती होने पर ही उसे क्रआपञ्ज पर आक्रमण करना चाहिए। ध्यान रहे जनता अब सब समझने लगी है और उसे आंकलन करना आता है। कुछ लोगों को उकसाने अथवा इस प्रकार की उत्तेजना, घृणा, अफवाह फैलाने, चीजों को तोडमरोडकर माहौल बनाने और आक्रामकता की नीतियों से भाजपा को ही नुकसान होने वाला है। कहा जाएगा कि खिसियानी बिल्ली खंम्भा नोंचे। भाजपा नेताओं में अहंकार भी बहुत है, उसे भी छोडकर विनम्रता और विवेक से काम लेना चाहिए, अन्यथा देशभर में नरेन्द्रभाई मोदी और भाजपा के पक्ष में जो माहौल बना, उसे भाजपा स्वयं पलीता लगा रही है, यही कहा जाएगा। आप-आप करने की बजाय भाजपा को सिर्फ कांग्रेस को ही टार्गेट करना चाहिए, क्योंकि उसी से उसे फायदा मिला है और भविष्य में भी उसी से कुछ और फायदा मिल सकेगा कुमार विश्वास के खिलाफ बरेली में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 295 ए के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मुकदमा दर्ज करवाया गया है। किन्तु यह टांय-टांय फिस्स होने वाला है, क्योंकि इस धारा में मुकदमा दायर करने, संज्ञान लेने से पूर्व दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 के तहत राज्य अथवा केन्द्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है। बिना इस स्वीकृति अथवा केन्द्र या राज्य सरकार के आदेश के इस धारा में मुकदमा संभव नहीं है। और केन्द्र या राज्य सरकार तब तक यह आदेश या स्वीकृति नहीं दे सकते, जब तक कि इस मामले की सक्षम अधिकारी से जांच न करवा ली जाए। बहुत सारे वकील साहबानों को भी यह बात अथवा प्रक्रिया ध्यान में नहीं है।
मंहगा पड़ेगा क्रआपञ्ज को घेरना
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