तो उदयपुर में भी मच जायेगी तबाही

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अगर भारी वर्षा हुई तो पिंक सिटी से भी बतदर हालात हो जाएगें लेकसिटी के

उदयपुर,। राजस्थान में मानसून अपने पूरे जोर पर है कई जगह बाढ के हालात है। एक रात की बारीश ने जयपुर जैसे शहर को भी लाचार कर दिया।

उदयपुर में भी मौसम विभाग के अनुसार भारी वर्षा की चेतावनी है। और यहां इस वक्त सिर्फ शहर की झीले नहीं भरी है बाकी एनीकट आदि लबालब हो गए है। स्थानिय निकाय व प्रशासन को सब पता होते हुए भी कि यदि भारी बारिश हुई तो हाल बेहाल हो सकते है और एक दर्जन से अधिक कालोनियों में पानी भर सकता है। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। आपदा प्रबंधन के सारे आदेश सिर्फ कागजों में ही जमा है।

2006 में जब आयड नदी मे बाढ आयी थी तो उसके बाद आयड नदी में ऐसी स्थितियां पैदा नहीं हो इसके लिए कई योजनाएं बनी आयड नदी में हो रहे अतिक्रमणों की सूची बनायी गयी लेकिन आज 6 साल बाद भी स्थिति वैसी ही है यूआईटी हर साल आयड नदी में हो रहे अतिक्रमणों की सूचियां बनाती है और उनमे से नाम मात्र के हटाये जाते है। अगले साल अतिक्रमणों की संख्या पि*र बढ जाती है। इस बार यूआईटी ने 72 अतिक्रमण चिन्हित किये थे और अभी तक मुश्किल में 20-25 की ही कार्यवाही की गयी है। अगर अभी मदार क्षेत्र में एक साथ 5 इंच बारिश हो गयी तो स्थिती 2006 से भी भयावह हो सकती है। और आयड नदी को परिधी में आने वाले क्षेत्रामें जान माल दोनो के नुकसान होने की संभावना है आलु फैक्ट्री व करजाली हाउस , न्यू भूपालपुरा, मादडी के कई क्षेत्र आज भी प्रशासनिक लापरवाही के चलते तबाही के मुहाने पर खडे है। यही नहीं गोवर्धन विलास स्थित सतोरिया नाला जिसकी वजह से कई पोश कालोनियां, शिव नगर आदी कालोनियों में पानी भर चुका था उसको चौडा करने की बात 2006 में हुई थी। जिसका कामकाज आज भी अधुरा पडा है। युआईटी अधिकारी नगर परिषद पर और नगर परिषद पर डाल रही है। इधर निकायों की लापरवाही इसी बात से लगायी जा सकती है कि गुमानिया वाले नाले तक की सफाई नहीं हो पायी है। आपदा प्रबंधन की कोई योजनाएं नहीं है उपाय नहीं कर रखे है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अशोक बाबेल से पूछने पर आपदा प्रबंध के क्या उपाय किये है तो एक रटा हुआ जवाब कि जो होने चाहिए जबकि ना तो सरकार की ओर से गोताखोर है न ही कोई बोट तैयार है और तो ओर सिंचाई विभाग के आपदा कार्यालय में रेती के कट्टे तक फटे हुए पडे है।

 

नगर परिषद आयुक्त सत्यनारायण आचार्य थोडे सजग नजर आए उन्होने रेती के कट्टे आदी डलवा रखे है। लेकिन हकीकत तो यह है कि शहर में यही २००६ जैसे बाढ के हालात होते है तो प्रशासन के पास उससे निपटने की ना तो कोई कार्य योजना बनाई ना ही कोई व्यवस्थाएं की गयी है जितने आदेश और योजनाएं है वह अभी तक सिर्फ कागजो में ही रह गयी है।

 

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