हाइकोर्ट बेंच की मांग को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत के 16 मई से आमरण अनशन करने की घोषणा से राज्य सरकार सकते में आ गई है। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सोमवार को दो मंत्रियों को वार्ता के लिए उदयपुर भेजा।
नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी व राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने अधिवक्ताओं से वार्ता के बाद कहा कि अधिवक्ताओं की भावना अच्छी है, वे खुद के लिए नहीं, मेवाड़ संभाग की जनता के लिए लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री से प्रतिनिधि मंडल की वार्ता के लिए समय लिया है। हमारा यह प्रयास रहेगा कि ऐसा रास्ता निकले, इनकी भावना पूर्ण हो जाए, जनता की कद्र हो और सरकार को भी कोई दिक्कत नहीं हो। इधर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चपलोत फिलहाल अनशन पर अडिग है। उनका कहना है कि मामले में सकारात्मक हल नहीं निकलने तक वे मरने (आमरण अनशन) तक के लिए तैयार हैं।
मंत्री कृपलानी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि उदयपुर संभाग अनुसूचित इलाका है। हाइकोर्ट बैंच की मांग में हमारा भी समर्थन है और हम पूरी तरह से साथ है। मुझे मुख्यमंत्री ने वार्ता के लिए भेजा है, अधिवक्ताओं से सकारात्मक वार्ता के बाद मैं कह सकता हूं कि नतीजा अच्छा निकलेगा। मंगलवार को सीएम से मिलने का समय ले रहे हैं। समय मिलते ही प्रतिनिधि मंडल से उनकी वार्ता करवाई जाएगी।
चपलोत के आमरण अनशन के सवाल पर उन्होंने कि चपलोत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। हमारी सब की भावना है कि वे अनशन पर नहीं बैठें। मैं जब से राजनीति में आया हूं, तब से चपलोत ने मेरा आग्रह कभी नहीं टाला है और अब भी नहीं टालेंगे। अनशन को लेकर एक बार सीएम से वार्ता हो जाए फिर इस मामले में कुछ कह सकते हैं। वार्ता के दौरान राज्यमंत्री धनसिंह रावत, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट, यूआईटी अध्यक्ष रवीन्द श्रीमाली, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत, अधिवक्ता शांतिलाल पामेचा, रमेश नंदवाना, राव रतन सिंह, प्रवीण खंडेलवाल, बार अध्यक्ष रामकृपा शर्मा व उनकी पूरी कार्यकारिणी मौजूद थी।