उदयपुर पोस्ट की एक वरिष्ठ महिला भाजपा नेता से बेबाक बातचीत उन्होंने राजनीति में आने वाली महिलाओं से जुडी समस्या पर खुल कर बात की .
पार्षद गरिमा पठान की मौत राजनितिक हलकों में शोक्ड की तरह हो गयी है, ख़ास कर उन महलाओं के लिए जो अभी अभी राजनीति में आई है और पार्टी में पद के साथ साथ घर भी संभाल रही है। गरिमा पठान की मौत की खबर सुन कर हर महिला पार्षद सकते में आगई उनका कहना है कि गरिमा पठान एक एक्टिव पार्षद थी जिनका व्यवहार सभी से काफी अच्छा था।
उदयपुर पोस्ट की बात एक वरिष्ठ भाजपा महिला नेता से हुई जो तीन बार पार्षद भी रह चुकी है उन्होंने अपने बेबाक अंदाज़ में राजनीति में महिलाओं की स्थिति पर काफी कडवी सच्चाई बयान की। अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने काफी ऐसे सच बताए जो कि चोंकाने वाले भी थे। उन वरिस्थ महिला नेता का कहना है कि जब एक महिला राजनीति में आती है तो पहली बात तो यह कि वह कभी अपनी स्वेच्छा से नहीं आती किसी परिजन या परिवार में दखल रखने वाले राजनितिक व्यक्ति के सुझाव पर ही किसी पार्टी से जोड़ी जाती है। जुड़ने के बाद उस महिला का कद पार्टी में या किसी छोटे ही सही संवेधानिक पद से उसका कद बढ़ता है तो परिवार वाले कई बार सपोर्ट करते है लेकिन कई बार उसको घर में ताने और उलाहने सुनने पढ़ते है। कभी पति का ईगो हर्ट होता है तो कभी परिजन घर में वक़्त नहीं दिए जाने पर अक्सर नाराज़ चलते है। ऐसे में राजनीति में आई वो महिला बाहर चाहे उसको कितनी भी वाह वाही मिल जाए लेकिन घर में वह अक्सर तनाव में जीती है। और कई बार यह तनाव एक महिला के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है नोबत लड़ाई झगड़ों की भी आजाती है। तो अगर किसी पहिला का पति या परिजन उस महिला को राजनीति में जाने की इजाजत दे रहे है तो कम से कम दिल भी बड़ा रखना चाहिए।
उदयपुर पोस्ट के साथ वरिष्ठ भाजपा महिला नेता ने साझा करते हुए कहा कि जब एक महिला राजनातिक पार्टी में प्रवेश करती है तो पार्टी के वरिस्थ नेताओं को पुरुष नेताओं को भी उन महिलाओं का और उनकी पारिवारिक प्रथ्भूमि का ख़याल रखना चाहिए। पार्टी ज्वाइन करने का यह मतलब नहीं कि पुरुष नेता या वरिस्थ नेता उन्हें अपनी जागीर समझने लगे और जैसा चाहे वैसा व्यवहार करें और महिला नेता द्वारा किसी अवांछित बात का विरोध करने पर उसके बारे में गलत बयानी सरेआम करते रहे। किसी के चरित्र पर गलत बयानी से चाहे पुरुष को फर्क नहीं पढ़े लेकिन एक महिला को फर्क पड़ता है उसका परिवार बिखर सकता है वह महिला अवसाद में धकेली जा सकती है। इसलिए हर राजनातिक पार्टी के वरिस्थ नेताओं को इस बात का ख़याल रखना चाहिए कि पार्टी में आने वाली महिला का पूरा सम्मान हो और सभी एक सम्मान की द्रेअश्थि से देखें। वरिष्ठ महिला भाजपा नेता यह भी कहती है कि एसा नहीं है कि पार्टी में सभी वरिष्ठ नेता एक ही नियत के होते है कई नेता ऐसे होते है जो महिला नेताओं को शाम होते ही अपने घर जाने की सलाह देते है। शहर विधायक और राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का नाम लेते हुए वे कहती है कि कटारिया जी अक्सर महिला नेताओं को पूरा सम्मान देते है साथ कभी किसी पार्टी के कार्य से जयपुर भी बुलाना हुआ तो कार्य समाप्त होते ही वापसी की सलाह देते हुए रवाना कर देते है। हर राजनीति पार्टी में महिलाओं का ख़याल रखा जाना चाहिए।