उदयपुर। शहर में इन दिनों एक थानाधिकारी का तबादला चर्चा का विषय बना हुआ है।
तबादला यों तो एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का अंग है लेकिन चर्चा का केन्द्र इसलिए बना कि एसपी को भी ’ओवरटेक’ कर यह थानाधिकारी केवल अपने एक उच्च अधिकारी के आदेशों का ही पालन कर रहा था लेकिन लेकसिटी में जमीनों की बढती ऊंची कीमतों ने हर वर्ग में लालच पैदा कर रखा है और यह अधिकारी भी उसी की लपेट में आ गया।
प्रकरण के अनुसार शहर के एक मलाईदार थाना के थानाधिकारी को हाल जारी तबादला सूची में जिलाबदर कर दिया गया। तबादले का कारण यों तो प्रशासकीय आधार बताया जा रहा है लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी अलग ही संदेश दे रही है। यों पूरे प्रदेश में 20 थानाधिकारियों को विभिन्न कारणों से जिला बदर किया गया है लेकिन 3 को प्रशासकीय आधार पर स्थानांतरित बताया गया। हालांकि अब भी यह थानाधिकारी जिला बदर कर के उस आदेश से अपना नाम कटवाने की जुगत में लगा हुआ है, लेकिन अंदर के सूत्र बता रहे है कि तबादला निरस्त होना बहुत मुश्किल है क्योंकि मामला संगीन है। इधर, इस मलाईदार थाने का प्रभारी बनने के लिए कई दावेदारों ने अपने जुगाड लगाना शुरू कर दिए हैं। यह थानाधिकारी वास्तव में सुखाडिया सर्कल के पास बेशकीमती भूखण्ड का मामला सुलटाने के चक्कर में आ गए। सुखाडिया सर्कल पर इलाहाबाद बैंक से सटी इस जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य एक सौ करोड रूपये बताया जा रहा है। 75 हजार वर्ग फिट के इस भूखण्ड का दो रजिस्ट्रीयों से बेचान विवाद बना हुआ है। रियासतकालीन इस विवादित भूखण्ड पर शहर के कई भू माफियाओं, राजनेताओं एवं उच्च अधिकारियों की निगाह टिकी हुई है। फर्जी पट्टों पर बिकी यह भूमि दलाल आगे से आगे बेचते रहे। पट्टा संख्या 2952 की जमीन के बेचान में पूरा खेल धन और बाहुबल का चल रहा है। इसी मामले को सुलटाने की जिम्मेदारी उक्त थानाधिकारी द्वारा लेने की जानकारी मिलने पर सत्ताधारी दल में विरोध के स्वर उभरे और उन्हें जिला बदर करने के आदेश जारी हो गए। फिलहाल यह अधिकारी तबादला निरस्त कराने की जुगत में लगे हुए है ।