उदयपुर. शहर से सटे उभयेश्वरजी (उबेश्वर) स्थित मां वैष्णोदेवी धाम पर दंडी स्वामी अवधेशानंद चेतन्य ब्रह्मचारी (सूरजकुण्ड कुंभलगढ़) का चातुर्मास छह जुलाई को शुरू होगा। इसके अलावा मेवाड़ सहित कई क्षेत्रों के 300 से अधिक संत भी आएंगे। रविवार को भड़ल्या (भाडिय़ा) नवमी पर यज्ञशाला मेंं अग्नि प्रवेश का उपक्रम हुआ।
इस अवसर पर अवधेशानंद ने मंगल गायन के साथ भक्तों को आशीर्वचन दिए। उन्होंने बताया कि चातुर्मास के दौरान काशी से 30 विशिष्ट एवं हरिद्वार से 10 उत्कृष्ट संतों के साथ अन्य साधु यहां हवन, अनुष्ठान, कीर्तन एवं व्याख्यान करेंगे। उबेश्वर मां वैष्णोदेवी विकास समिति के अध्यक्ष देवीलाल गुर्जर ने बताया कि देवशयनी एकादशी के बाद मुहूर्त नहीं होने की वजह से रविवार को संत सान्निध्य में यज्ञशाला में अग्नि प्रज्जवलित की गई। यज्ञशाला में चातुर्मास के दौरान हवन, पूजन एवं अनुष्ठान होंगे। उन्होंने बताया कि छह जुलाई को 300 संतों एवं हजारों भक्तों के साथ इस चातुर्मास के लिए सुबह दस बजे आयड़ स्थित महासतियां गंगोद्भव कुंड से मां वैष्णोदेवी धाम के लिए पैदल प्रस्थान करेंगे। यह पदयात्रा गंगुकुण्ड से अशोकनगर शास्त्री सर्कल, देहलीगेट, महादेव मंदिर, धानमंडी, हनुमान चौक, मण्डी की नाल, मोचीवाड़ा, बड़ा बाजार, घंटाघर, जगदीश चौक, मण्डी की नाल, मल्लातलाई चौराहा, दूधिया गणेशजी, रामपुरा, मोरवानिया, धार होते हुए आयोजन स्थल पहुंचेगी।
संत करेंगे नित्य हवन
समिति के सचिव हरिसिंह देवड़ा ने बताया कि किसी भी सनातन धर्म के संत का उदयपुर में इतने बडे स्तर होने वाला पहला चातुर्मास होगा। इसमें महाराज अवधेशानंद सागर के साथ काशी से आए 51 विशिष्ट संत यहां प्रतिदिन विशाल यज्ञशाला में हवन एवं आहुतियां देंगे। उन्होंने बताया कि चातुर्मास की तैयारी के लिए पिछले एक महिने से समिति के पदाधिकारी एवं भक्तगण लगे हुए हैं। प्रचार मंत्री शंकरसिंह गौड़ ने बताया कि चातुर्मास की तैयारी के लिए यहां ठहरने वाले संतों के लिए जोधपुर से मंगवाई गई घास से झोपडिय़ों का निर्माण मुंबई से आए कारीगरों ने किया है। चातुर्मास के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए वाटर प्रूफ पांडाल बनाया जा रहा है।