उदयपुर । फर्जी लाइसेंस और खतरनाक हथियार रखने वालों की जमानत बड़ी आसानी से तो हो गयी लेकिन यह जमानत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गयी है। जिस कानून की नज़र में एक 8 इंच का चाकू रखना बड़ा गुनाह माना जाता है और जमानत के लाले पड जाते है वहां इन रसूख वालों ने अपने करोड़ों के दम पर खुद को कानून से बचा लिया। आश्चर्य नहीं होगा कल को इनके पास से मिले खतरनाक हथियार बच्चों के खिलोने साबित हो जाएँ और ये बच्चों की तरह मासूम करार दे दिए जाएँ। सत्ता में बैठे इनके आक़ा ये कारनामा बड़ी आसानी से कर सकते है।
एटीस ने अवैध हथियारों और उनके फर्जी लाइसेंस के मामले में बड़ी जोर शोर से कारवाई की राजस्थान के बड़े बड़े रसूखदारों के बगल में दबे हुए खतरनाक हथियार निकलवाये और इस मामले में अगर राजस्थान में सबसे आगे रहा तो वह हमारा उदयपुर। सूत्रों की माने तो यहाँ से अभी तक ४० से अधिक लोगों के पास अवैध हथियार और फर्जी लाइसेंस निकल चुके है जिसमे सब के सब बड़े लोग और ख़ास कर भूमि व्यवसायी शामिल है। 10 रसूखदारों को एटीस ने गिरफ्तार किया। लेकिन बुधवार को इनकी बड़ी आसानी से जमानत हो गयी। इन रसूखदारों की आसानी से जमानत होने के बाद लगने लग गया कि शायद इनके पास खतरनाक हथियार नहीं और बच्चों के खेलने वाले खिलोने थे। जिससे ये भूमि पर कब्जे करने, डराने, धमकाने, का काम नहीं और बच्चों की तरह छुप्पन छुपाई का खेल खेलते थे। गलती से एटीस ने इनको गिरफ्तार कर लिया ये लोग तो मासूम लोग है। इन 10 मासूम लोगों जिसमे जिनमें हिन्दू जागरण मंच के रविकांत त्रिपाठी, अरवाना काॅम्प्लेक्स हसन पालीवाल, दीपक परिहार, पारस बोलिया, सुमीत भण्डारी, संजय तलेसरा, विषाल सुहालका, निर्मल मट्ठा और इंतखाब आलम है इन्हें एटीस ने बेजा ही परेशान किया।
इन मासूम लोगों कि खिलोना बन्दूक से तीन महीने पहले एक बेगुनाह मछुआरे की मौत हो जाती है। इसमें एक मासूम एयर पोर्ट पर जेब में कारतूस लेकर घुस जाता है पुलिस को अपना फर्जी लाइसेंस दिखाता है और पुलिस इसको नादाँ बच्चा समझ कर छोड़ देती है। सबसे बड़ी बात ये सारे के सारे बेगुनाह लोग जिसमे अधिकतर कुछ समय पहले तक कुछ भी नहीं थे आज करोड़ों के मालिक बने बैठे है। गरीबों और मजबूर लोगों की जमीनों को शायद इन्ही खिलोना बन्दूक के डरा कर हड़प लिया और आज करोड़ों की प्रोपर्टी के मालिक बने बैठे है। और यही करोड़ों के मालिकों ने अपने करोड़ों के दम पर हथियारों और फर्जी लाइसेंस का खतरनाक खेल खेलने के बावजूद भी जमानत करवा ली। एक सामान्य आदमी के पास अगर सब्जी काटने का बड़ा चाक़ू भी मिल जाए तो उसकी जमानत के लाले पड जाते है लेकिन यहाँ तो ये लोग पुरे असलाह साजो सामान के साथ गिरफ्तार होने के बावजूद भी मासूम होने का खेल खेल रहे है।
क्या हमको पुलिस और एटीस की इस तरह की कारवाई पर सवाल नहीं उठाना चाहिए ? आखिर सभ्य समाज में रहने के लिए ये लोग हथियारों का इस्तमाल क्यों करते है ? और फिर फर्जी लाइसेंस का गोरखधंधा करते है। बीएसफ की ड्रेस में फर्जी फोटो खिंचवा कर सारे दस्तावेज फर्जी देते है, और फर्जी लाइसेंस बनवाते है। क्या इनका यह कृत्य किसी देशद्रोह से कम है ?
लेकिन शायाद इनके रसूख और करोड़ों के दम पर ना तो इन लोगों से यह सवाल किये जायेगे ना ही इन पर कठोर कारवाई होगी। यही नहीं इन्हें इनोसेंट और मासूम बना कर क्लीन चिट और देदी जाएगी। और इनको क्लीन चिट दिलवाने का काम करेगें सत्ता में बैठे हुए कुछ कानून से खिलवाड़ करने वाले दलाल। सत्ता में बैठे हुए इनके आक़ा जिनके बलबूते पर ये मसूम लोग रातों तार भूमी की दलाली कर करोड़ पति बने है।
उस्ताद जी जनाब बहुत सच्चाई है आपकी इस भ्रष्ट सरकार की चाटुकारी में और सबसे बड़ी बात २०१९ चुनाव आ रहे हैं
आपके एक लेख में भी पड़ा बड़े हाकिम बाबू आसानी से सोहराबुद्दीन केस मे बरी हो गये और दो वक़्त की रोटी का जुगाड करने वाले बड़ी मुश्किल में है
तो सवाल ये पैदा होता है कार्यवाही की ही किस लिए थीं ?
कोरी वाहवाही लूटने के लिए
बहरहाल लेखनी सनी हुई और दिल को छु गई।
You are doing good thing keep it up.