उदयपुर | “अंजुमन तालीमुल इस्लाम” की स्थापना करीब सौ साल पहले मुसलामानों में तालीम (शिक्षा) के बढ़ावे के लिए की गयी थी | इसके लिए ऐसे लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी जो खुद भी शिक्षित थे और शिक्षा के लिय उन्होंने पहला कदम भी उठाया | लेकिन आज हालात उलटे है | यह अंजुमन (संगठन ) एक शिक्षित सदर ( अध्यक्ष ) के लिए आँखे फैलाये खड़ा है | लेकिन कही कोई रोशनी की किरण नज़र नहीं आरही | १०० साल पहले शुरू की गयी स्कूल आज भी उसी स्थिति में है |
९ नवम्बर को अंजुमन तालीम के विभिन्न पदों के लिए चुनाव होने वाले है | जो संगठन शिक्षा के लिए बनाया गया था आज उससे जुड़ने वाले विभिन्न पदों के उम्मीदवारों में आधे से अधिक उम्मेदवार सेकेंडरी तक भी नहीं पढ़े हुए है, तो फिर कैसे शिक्षा के महत्त्व को समझेगे और और इस संगठन और समाज में शिक्षा की अलख जगायेगें |
सदर के पद के लिए एक भी ग्रेजुएट नहीं : अंजुमन के इस चुनाव के लिए इस बार तीन उम्मीदवार मैदान में है | जिसमे मोहम्मद खलील, हाजी मोहम्मद युसूफ, एवं मोहम्मद इलियास मुल्तानी ताज्जुब की बात है की शिक्षा के संगठन में अध्यक्ष पद के दावेदारों में एक भी ग्रेजुएट नहीं है | सबसे अधिक शिक्षा है तो वह हायर सेकेंडरी पास किये हुआ प्रत्याशी है | मोहम्मद युसूफ की शैक्षणिक योग्यता हायर सेकेंडरी है, जब की इलियास मुल्तानी की शिक्षा सेकेंडरी तक और मोहम्मद खलील आठवी पास है | जब कि अन्य कुछ समाजों की इसी तरह के शिक्षा के लिए बने संगठन है उनमे बनने वाला अध्यक्ष एक शिक्षा विद्द ही होता है | इस सगठनों और कुछ ही सालों में प्राइमरी से शुरू कर आज बड़े बड़े उच्चा शिक्षण संस्था खोल दिए है |
१०० सालों में शिक्षा का स्तर वही : मुसलामानों शिक्षा के बढ़ावे के लिए बना संगठन अंजुमन में संचालित स्कूल की स्थिति आज कोई बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है | आठवी तक बीसियों सालों तक चलती रही अलबत्ता मौजूदा कार्यकारणी ने इसको सेकेंडरी तक बढ़े और जहाँ ५० से ६० बच्चों कि संख्या थी उसमे भी कुछ इजाफा किया लेकिन १०० सालों में जहाँ यह नामी शिक्षा का मरकज बनाना चाहिए था जहाँ हायर एजुकेशन की तालीम होनी चाहिए थी उसकी जगह यहाँ सिर्फ दंस्वी तक का स्कूल संचालित हो रहा है |
इस्लाम में शिक्षा का महत्त्व : इस्लाम में शिक्षा को बहुत अधिक महत्त्व दिया है, शिक्षा के लिए कुरआन और हदीस में भी कई बार आया है | इस्लाम में कहा गया है कि शिक्षा के लिए अगर हजारों मील तक चलते हुए भी जाना पड़े तो जाना चाहिए | यही नहीं इस्लाम में महिलाओं की शिक्षा पर भी खासा जोर दिया है | कहा गया है कि एक पुरुष पड़ा लिखा होगा और शिक्षित होगा तो एक इंसान ही शिक्षित होगा लेकिन अगर एक महिला शिक्षित होगी तो आने वाली सात पीढ़ियां भी शिक्षित हो जाएगी | और इस्लाम में शिक्षा के इसी महत्त्व के चलते उदयपुर के मुस्लिम बुजुर्गों ने अंजुमन तालीमुल इस्लाम की शुरुआत की थी |
शिक्षा विद्द आते नहीं और जो आये उन्होंने भी कुछ ख़ास नहीं किया : इस संगठन को चलाने के लिए मुस्लिम समाज के शिक्षा विदों को आगे आना चाहिए अव्वल तो वह आते नहीं जो आते है वह या तो कुछ करते नहीं या राजनीति का अखाड़ा बन रहे दंगल की भेंट चढ़ जाते है | मौजूदा कार्यकारणी से पहले सदर इकबाल सागर और सेक्रेटरी मुश्ताक चंचल का कार्यकाल था पढ़े लिखे होने के बावजूद कुछ ख़ास काम शिक्षा के क्षेत्र में नहीं हुआ |
अंजुमन को दरकार एक शिक्षा विद्द की
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