उदयपुर। उदयपुर-अहदाबाद फोरलेन पर काया के पास सोमवार सुबह एलपीजी गैस भरा टैंकर- कंटेनर भिड़ंत हो गई। हादसे में दोनों वाहन जल उठे। कंटेनर चालक द्वारकापुरा कोटपुतली (जयपुर ग्रामीण) निवासी राजकुमार उर्फ राजेन्द्र (34) पुत्र छोटेलाल जिंदा जल गया और खलासी बरामदा राजगढ़ (अलवर) निवासी महेन्द्र कुमार (22) पुत्र राजकुमार राजपूत मशक्कत बाद जान बचाकर भागा।
हादसे का नजारा देख हर आंख थम गई और छह घंटे तक भूख-प्यास, उमस से बेहाल राहगीर मौत के इस मंजर से दो-दो हाथ होते रहे। गैस-तेल के विशेषज्ञों के नहीं आने पर पुलिस अमला घंटों तक आग बुझाने और हाइवे का कई किलोमीटर तक लगा जाम बहाल करने के लिए जूझता रहा।
सांसें थमा गया भयावह मंजर
वो भयावह मंजर, तीन घंटे, हर व्यक्ति की सांस इसी में अटकी थी कि कहीं टैंकर न फट जाए। लोग आधा किलोमीटर दूर पहाड़ों पर खड़े होकर टैंकर से रिसती गैस के बाद आग की उठती लपटों और गोलों को देखकर सिहर जाते। हर किसी को एक अनजाना डर था कि कोई दुर्घटनाग्रस्त वाहनों में फंसा हो सकता है, लेकिन जलते टैंकर और कंटेनर की भयावहता के कारण कोई आगे नहीं बढ़ पा रहा था। हर व्यक्ति अंदर फंसी जान के बारे में चितिंत था, चार घंटे बाद गैस का रिसाव कम हुआ और पानी की लगातार ठंडी बौछारें गिरी तो आग की आंच कम हुई। पुलिस, दमकलकर्मियों व राजमार्ग प्राधिकरण की के्रन सेवाओं से जुड़े ऑपरेटरों ने हिम्मत दिखाई। क्रेन की मदद से टैंकर हटाया तो सभी अवाक रह गए। कंटेनर का चालक जहां जलता रहा और चीख भी न सका था, वहां अब बस राख (अस्थियां) बची थीं।
उदयपुर-अहदाबाद हाई-वे पर काया से आगे महेन्द्र बावड़ी मोड़ पर एलपीजी गैस से भरा टैंकर व कंटेनर भिड़न्त में चालक राजकुमार उर्फ राजेन्द्र जिंदा जल गया था। कंटेनर मालिक ने फोन पर बताया कि कंटेनर में राजस्थान के टपुखेड़ा में होण्डा कंपनी से 65 एक्टिवा स्कूटर लादकर भेजे जा रहे थे। यह कंटेनर गुजरात में वापी जा रहा था। वहीं टैंकर भडुच से आगरा जा रहा था। गोवर्घन विलास थाना पुलिस को झुलसे खलासी महेन्द्र ने टैंकर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
अस्थियां दिखी तो सहम उठे
दुर्घटना के बाद टैंकर से रिसी गैस ने आग पकड़ ली। इससे चालक सीट पर बैठा-बैठा ही जिंदा जल गया। उसकी चीख पुकार आग की लपटों और धमाके के बीच दबकर रह गई। कोई भी उस बुझती जिंदगी के पास फटक तक नहीं पाया। जब हालात पास जाने के हुए तो सीट पर चालक की राख मिली, जिससे झांकती उसकी अस्थियों ने हर किसी के रोम खड़े कर दिए।
कांच फोड़कर भागा महेन्द्र
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि खलासी महेन्द्र कंटेनर पलटने के बाद दब गया था। आग की लपटों के बीच घिर गया था और केबिन में छटपटाता रहा। जलती हालत में वो कांच तोड़कर बाहर निकल सका। कुछ देर घटनास्थल के आस-पास घूमता रहा और दूर तक भी कोई नजर नहीं आया तो बेसुध होकर हाइवे पर दौड़ पड़ा। ग्रामीणों की नजर पड़ते ही उन्होंने संभाला और अस्पताल पहुंचाया।
जाम ने निकाल दी जान
टैंकर-कंटेनर भिड़न्त के बाद उदयपुर-अहमदाबाद फोरलेन पर दोनों ओर वाहनों की कई किलोमीटर लम्बी कतारें लग गई। उदयपुर भ्रमण व श्रीनाथजी आने व वापस गुजरात जाने वाले लोगों की गाडियां भी फंस गई। दोनों ओर से कई दुपहिया वाहन भी वहां आकर और फंस गए। पुलिस ने वाहनों को रोके रखा तो बीच-बीच में लोगों को सब्र टूटता रहा। वे समझाइश से माने और जाम जल्द खुलने की उम्मीद में खड़े रहे।
गर्मी व उमस के बीच लोग वाहनों से बाहर निकल आए। कई सैलानी महिलाएं व युवतियां बार-बार पुलिस अधिकारियों से पूछती रही कि जाम खुलने में कितना समय और लगेगा। कई लोग पुलिस, दमकल व क्रेनों पर ऑपरेटरों की मुस्तैदी पर उनकी हौंसलाफजाई कर रहे थे। गैस रिसाव के बीच आग के साथ ही पुलिस अधिकारियों के लिए यातायात व उसमें फंसे लोगों की चिंता सता रही थी। गिर्वा उपाधीक्षक दिव्या मित्तल, सीआई बद्रीलाल, टीडी थानाधिकारी भैयालाल और जाब्ता आमजन को रोकने के साथ ही खतरे से बार-बार आगाह करता रहा। दुर्घटनाग्रस्त वाहनो को किनारे करने के बाद राहगीर ऎसे दौड़े कि पुलिस को पीछे हटना पड़ा।
पानी भी नहीं मिला
दुर्घटनास्थल पहाड़ों के बीच और गांव से दूर होने के कारण वहां किसी को घंटों तक पानी भी नसीब नहीं हुआ। आस-पास झोपडियो में रहने वालो लोगों को पुलिस ने बाहर निकालकर हटा दिया। उदयपुर में बैठक में शामिल होने आ रहे गुजरात के साबरकाठा कलक्टर बांछा निधि पानी भी फंस गए। पुलिस ने जैसे-तैसे उनकी गाड़ी को निकाला। कलक्टर ने मौके पर कुछ देर खड़े होकर गुजरात मे पेट्रोलियम अधिकारियों से हादसे के बारे में जानकारी देकर उससे बचाव के तरीके पूछते रहे।