वॉच टावर पर पुलिसकर्मी नहीं, पेट्रोलिंग का भी रहा अभाव
उदयपुर। धुलंड़ी के दिन दो घरों के चिराग बुझ गए। इससे झीलों के आसपास पेट्रोलिंग फोर्स, वॉच टावर और सुरक्षा गार्ड लगाने के दावे खोखले साबित हुए हैं। जब ये दोनों युवक झील में डूब रहे थे, तब वहां पर प्रशासन द्वारा किया गया कोई भी इंतजाम सक्रिय नहीं था। इस कारण दोनों की जान चली गई।
नुमाइश बने वॉच टावर
पुलिस विभाग ने निगरानी रखने के लिए शहर में उदियापोल, सूरजपोल, चेतक और फतहसागर झील किनारे वॉच टावर लगाए हैं, लेकिन इन पर कभी कोई पुलिसकर्मी बैठा हुआ नजर नहीं आता है। इन वॉच टावर पर भी बच्चे या युवा मस्ती करते या खेलते हुए नजर आते हैं। अगर इन वॉच टावर का सही इस्तमाल होता और होली के दिन उस पर पुलिस कर्मी तैनात होते, तो उन युवाओं को जरूर बचाया जा सकता था। उन तक समय पर सहायता नहीं पहुंच पाई। इन वॉच टावर पर शोभायात्रा, जुलूस के दौरान ही कुछ पुलिसकर्मी नजर आते हैं।
लेक पेट्रोलिंग का भी पता नहीं
पिछले दिनों जिला कलेक्टर ने झीलों की सुरक्षा और सफाई के लिए लेक पेट्रोलिंग दल तैनात किया था, लेकिन घटना के दिन उसका भी कहीं कोई अता-पता नहीं था, जबकि उस पेट्रोलिंग दल की वहां पर सबसे ज्यादा जरूरत थी। नियमित रूप से शाम को फतहसागर वॉक करने वाले निरंजन साहू का कहना है कि धुलंड़ी के अवसर पर फतहसागर पर पुलिसकर्मी का तैनात होना जरूरी था। अगर वहां कोई पुलिसकर्मी होता तो, डूबने वाले दोनों युवाओं को बचाया जासकता था या उन्हें झील में उतरने से रोका जा सकता था।
नाकाफी सुरक्षा इंतजाम के कारण बुझ गए दो घरों के चिराग
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abhi bhi preshashan ki aankhe nahi khuli he.es ghatana k bad bhi es tarah ki ghatnaye ho rahi he. court ka darvaja khatakhatana hi padega.