स्वीकार क्यों नहीं कर लेते की लूट हुई थी?, पीडि़तों ने जब लूट की वारदात बताई, तो चोरी में क्यों रिपोर्ट दर्ज की गई?
उदयपुर। देबारी के पास रतलाम-उदयपुर एक्सप्रेस ट्रेन में रविवार रात को हुई लूट की वारदात पर रेलवे और पुलिस, दोनों ही पर्दा डालने की गंदी कोशिश की जा रही है। सच को स्वीकार करने की हिम्मत दोनों ही महकमों में नहीं दिखाई पड़ रही है। रात एक बजे यहां राणा प्रतापनगर पर सैकड़ों यात्रियों ने हंगामा करते हुए लूट की वारदात की तस्दीक की, जिसे जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है, जबकि रेलवे और शहर पुलिस को चाहिए कि वे शहर के इतना करीब लूट की वारदात को अंजाम देकर गए बदमाशों को सींखचों के पीछे धकेले, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है, क्योंकि अगर लूट की वारदात को स्वीकार कर लिया जाता है, तो दोनों ही महकमों की भद्द पीट जाती है।
इस वारदात के बाद रेलवे और पुलिस के सभी अधिकारियों के अलग-अलग बयान आ रहे हैं। कोई लूट की वारदात से इनकार नहीं कर रहा है, तो कोई इस वारदात को महज चोरी की घटना बताकर पर्दा डाल रहा है, जबकि दूसरी तरफ
ट्रेन में मौजूद पीडि़त यात्री इस घटना को लूट की वारदात बता रहे हैं। वे ये भी बता रहे हैं कि लुटेरे कच्छा-बनियान गिरोह के थे और शरीर पर ग्रीस चौपड़ रखा था। पहली बार सुनियोजित ढंग से हुई रेल लूट की घटना ने पुलिस विभाग और रेल सुरक्षा की पोल खोल कर रख दी है। अभी तक कोई लुटेरा पुलिस के गिरफ्त में नहीं आया है। एक तरफ पुलिस मान रही है कि ऑउटर सिग्नल पर टेम्परिंग (सिग्नल में छेड़छाड़) या चैन पुलिंग कर टे्रन रोकी गई है, लेकिन दूसरी तरफ फरियादी महिला यात्री को प्रतापनगर जीआरपी थाने से डबोक थाने के चक्कर लगवाते हुए मामूली चोरी की रिपोर्ट दर्ज की जा रही है, जिसमें लूट की धारा बाद में जोडऩे का आश्वासन दिया जा रहा है
वर्जन…
रतलाम-उदयपुर एक्सप्रेस टे्रन में हुई वारदात को फरियादी महिला के बयानों के आधार पर चोरी का मामला दर्ज किया गया है, लेकिन घटना हालात को देखते हुए लूट से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। मामले की जांच चल रही है, अगर मामला लूट का प्रकट होता है, तो लूट की धारा भी जोड़ दी जाएगी। ऐसी घटना दोबारा नहीं हो। इसके लिए रात में चलने वाली ट्रेनों में सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा जाएंगे।
-किशन सहाय, एसपी, जीआरपी
घटना को जितना बड़ा बताया जा रहा है, उतनी बड़ी घटना नहीं है। सिर्फ एक महिला का पर्स एक उचक्का लेकर भाग रहा था, जिसको देखकर वह चिल्लाई और उसकी चीख सुनकर ट्रेन के बाहर खड़े यात्री भी उसके पीछे भागे। हालांकि जांच में सामने आया है कि ट्रेन को सिग्नल में टेम्परिंग करके रोक गया था, लेकिन इसमें किसी गिरोह का हाथ नहीं है। फिर भी यदि लूट का मामला सामने आया, तो लूट की धारा भी जोड़ दी जाएगी।
-हनुमान प्रसाद, एएसपी (हेड क्र्वाटर)
मामले की जांच चल रही है। लुटेरे कितने थे? अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। जांच में अभी तक यही पता चला है कि तीन लोगों को ट्रेन में स उतरकर भागते हुए देखा था। चेन पुलिंग करके रोकी या सिग्नल में गड़बड़ी करके रोकी। यह रेलवे की रिपोर्ट आने पर ही पता चल पाएगा।
-राशि डोगरा, डबोक थानाधिकारी (प्रशिक्षु आईपीएस)