उदयपुर ,समाज में उपहास और प्रताडऩा झेल रहे किन्नर समाज को सामाजिक न्याय और अधिकारों के साथ सम्मान का जीवन जीते हुए समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। सामाजिक रुप से उपेक्षा झेलने वाले इस वर्ग बेहतरी की एक किरण नजर आई है।
राज्य सरकार ने उदयपुर में काम कर रहे मां भगवती विकास संस्थान के चित्रकूटनगर स्थित स्पंदन आश्रम को इस तरह के बच्चों की देखरेख और संरक्षण का जिम्मा उठाने की मंजूरी दी है। किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए संस्थान ने इच्छा जताई थी।
इस पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2000 की धारा 34 (2) एवं धारा 48 के तहत विशेष आश्रय गृह (0 से 6 वर्ष के 25 बालक-बालिकाओं के लिए) के रूप में प्रोजेक्ट को मंजूर किया है। इस काम के लिए सरकार ने संस्थान को पांच वर्ष के लिए अस्थायी रूप से परियोजना शुरू करने के आदेश दिए हैं।
किन्नरों ने किया स्वागत
नहीं छापने की शर्त पर स्थानीय किन्नरों ने परियोजना का स्वागत किया है। फिलहाल शैशव अवस्था में किन्नर, बालक या किशोर अवस्था में किन्नर के लक्षण पाए जाने पर उनको संस्था को सौंपा जा सकता है। वहां उनका सर्वांगीण विकास किया जाएगा। इन बच्चों को पैरों पर खड़ा करने के साथ-साथ मूलभूत अधिकारों के साथ जीना सिखाया जाएगा।
एक लाख में एक या दो प्रकरण
अनुभवी और वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि एक लाख में एक या दो शिशुओं के एेसे प्रकरण सामने आते हैं। इनमें जिनमें लिंग विकसित नहीं हो पाता है और उनको इस श्रेणी में माना जा सकता है। इस संवेदनशील मामले में यह भी तथ्य उभरकर आया है कि बड़े होने के बाद भी धीरे-धीरे ये लक्षण सामने आते हैं और इन बच्चों की पारिवारिक स्तर पर परवरिश कमजोर पड़ती जाती है। वे अलग-थलग होकर मुख्यधारा से कट जाते हैं।
कठिन हालात में जीवन
किन्नरों को पेट भरने के लिए नाच-गान करना या भीख मांगकर गुजारा करना पड़ता है। फिलहाल सरकार के स्तर पर इनको लाभ मिल सकें, इसकी ठोस व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा अन्य एेसे काम भी इनको करने पड़ते हैं, जो ये नहीं चाहते हैं। लिहाजा संस्थान का मानना है कि किन्नर शिशुओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर सम्मानपूर्वक जीवन दिलाना बहुत जरूरी है।
हमें सौंपें एेसे बच्चे
समाज से हमारी अपील है कि किसी परिवार में किन्नर संतान है, तो उसे किसी तरह की परेशानी नहीं होने दें। उसके पालनपोषण में असमर्थ होने पर इनको हमें सौंपा जा सकता है। इनको सम्मान के साथ जीना सिखाया जाएगा। समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा।
देवेन्द्र अग्रवाल, संस्थापक और संचालक, स्पंदन, मां भगवती विकास संस्थान, उदयपुर