उदयपुर। गत दिनों शहर के मल्लातलाई क्षेत्र में तनाव के दौरान पुलिस ने खुल कर अपना साम्प्रदायिक रूप से दिखाया। इस दौरान खाकी ने दर्शा दिया कि चाहे सरकार सेक्युलर लेकिन फसिज्म पर उसका अंकुश नहीं हो सकता। यह हिमाकत उस समय हुई जब एक मुख्यमंत्री स्वयं गृह मंत्रालय संभाले हुए है।
उल्लेखनीय है कि गत १३ अप्रेल को फेसबुक पर अभद्र पोस्ट के विरोध में समुदाय विशेष के कुछ युवकों ने मल्लातलाई क्षेत्र में एक रेस्टोरेन्ट पर तोडफ़ोड करते हुए उसके मालिक के साथ मारपीट की थी। इस घटना ने कुछ ही देर में साम्प्रदायिक रूप से लिया था और कुछ समाजकंटको ने ऑटो में सवार मुस्लिम परिवार के साथ मारपीट कर कुछ बालिकाओं को घायल कर दिया।
घटना का पूर्वाभास पुलिस को होने के उपरान्त भी पुलिस ने तब तक कोई एक्शन नहीं लिया जब तक इस घटना ने दंगे का रूप लेने का प्रयास किया। स्थिति को नियंत्रण करने के लिए प्रभावित क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करनी पडी।
इस निषेधाज्ञा का पुलिस ने जमकर दुरूपयोग किया।जो गुरुवार तक चलता रहा । केवल मुस्लिम युवकों को निशाना बनाते हुए उनके घरों पर दबिशें देकर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया। एक युवक को उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वह सब्जी खरीद कर घर लौट रहा था। उसका दंगो से कुछ संबंध नहीं था लेकिन जबरन उसकी बाइक छीनकर उसे पुलिस की जीप मे डाल दिया तथा बाद में देर रात उसके दंगे में शामिल दर्शाते हुए गिरफ्तार दर्शा दिया। इसी प्रकार मस्जिद में नमाज अता कर लौटते दो अन्य युवकों को भी धर दबोचा। एक युवक जो दंगे का समाचार सुन घर पर अपनी अकेली पत्नी के पास पहुच रहा था उसको भी गिरफ्तार कर दंगाई घोषित कर दिया ।
पुलिस दरिदन्दगी का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। केवल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों को पुलिस छावनी में तब्दील कर अपना ताण्डव मचाया गया।गुरूवार रात तक मल्लातलाई क्षेत्र में मुस्लिम युवकों का रात को दुपहिया वहां पर चोराहा क्रोस करना मुश्किल बन गया सीधे आने वाले युवकों को घेर घेर कर पकड़ने वाले पुलिस के जवान अपने आपको सुरमा समझ रहे है ।
प्रत्यक्षदर्शियो ने बताया कि कारों से आने-जाने वाले केवल मुस्लिम परिवारों को ही रोक कर बेवजह परेशान किया गया। इसी दौरान एक विवाह समारोह से लौट रहे चार युवकों को कार से उतार कर दरिन्दगी से पीटते हुए पुलिस वाहन में ठूंस दिया गया। तथा कथित दंगेके लिए जिम्मेदार आरोपियों की पहचान किए बगैर निर्दोष युवकों को हवालात में ठूंस कर बेरहमी से पीटा गया। गिरफ्तार युवकों की सूचना तक परिजनों को नहीं दी गई।
यह सब उस समय हुआ जब इस प्रदेश के गृह मंत्रालय की कमान स्वयं मुख्यमंत्री के हाथ मे जो कि हर जगह सेक्युलर होने का दावा करते है। निर्दोष युवकों के परिवार आज भी मानसिक एवं आर्थिक यंत्रणा झेल रहे है। यह केस अदालत में लम्बा चलेगा। पुलिस झूठे प्रमाण प्रस्तुत कर निर्दोषों को दोषी साबित करते हुए अपनी पीठ थपथपाना चाहेगी।
उदयपुर पोस्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपेक्षा करता है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो। दागदार खाकी के उन दोषियों को चिन्हित कर उनके विरूद्घ विधि समस्त कार्रवाई करे तथा इसमें निचले स्तर के ही नहीं उच्च अधिकारियों के आचरण की भी जांच की जानी चाहिए तब ही कांग्रेस की सेक्युलर छवि स्थायी रह पाएगी।
निर्दोषों को फसा कर दागदार हुई खाकी ( उदयपुर , फेसबुक तनाव ..)
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