अशोक महान हो सकते हैं तो टीपू क्यों नहीं?

Date:

tipu_sultan_tableau

टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर विरोध के दौरान पिछले हफ्ते कर्नाटक में दो लोग मारे गए. जैसा कि आजकल देश में बहुत सी हताश कर देने वाली चीजें हिंदू मुस्लिम का मुद्दा बन जा रही हैं, यह भी इसी क़िस्म का मुद्दा बन गया है.दुनिया के इस हिस्से में राजाओं को दो तरह से देखा जाता है- अच्छा जैसे अशोक और अकबर आदि और बुरा जैसे औरंगजेब और टीपू सुल्तान आदि.

एक ऐसे समाज और राष्ट्र में यह खास प्रवृत्ति बन गई है, जो इतिहास को तथ्यों या कारण के बजाय भावनाओं की नज़र से देखता है. यह अधिकांश अनपढ़ और अधिकांश नए पढ़े लिखे लोगों का संकेत भी है. टीपू और उनके जनरलों की प्रतिष्ठा को उन्हीं के ख़िलाफ़ इस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है मानो वो हमेशा ही हिंदुओं के ख़िलाफ़ जिहाद चलाते थे. यह बकवास बात है, लेकिन यहां ये बताने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है. बेहतर हो कि लोग उनके बारे में किताबें पढ़ें और फिर सहमत हों, इसके बजाय कि उन्हें बताया जाए.

लेकिन यहां असल में मुश्किल ये है कि सभ्य दुनिया से उलट, भारत में बहुत कम किताबें लिखी गई हैं. हमारे यहां डायरी रखने और संस्मरण लिखने की कोई परम्परा नहीं है. ऐतिहासिक तथ्यों पर नया काम करने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है. और इसीलिए टीपू पर कोई ऐसी किताब नहीं है जिसे किसी भारतीय ने लिखा हो. अगर किसी को इस राजा के बारे में कुछ जानना है तो उसे 19वीं शताब्दी में लुईस बॉवरिंग द्वारा लिखी किताब ‘हैदर अली, टीपू सुल्तान एंड स्ट्रगल ऑफ़ मुसलमान पॉवर्स ऑफ़ साउथ’ पढ़ना पड़ेगा. (बॉवरिंग ऐसा नाम है जिसे बंगलुरु के लोग अच्छी तरह परिचित हैं, क्योंकि इनके नाम पर ही सेंट मार्क्स रोड पर बॉवरिंग क्लब है.)

tipu_sultanटीपू सुल्तान में जो दिलचस्पी दो-तीन बातों को लेकर है.

पहला, यह कि अंग्रेजों के लिए उन्हें हराना बहुत मुश्किल हो गया था. जब हम पिछले समय के अंतिम महान इतिहासविद सर जदुनाथ सरकार का अध्ययन करते हैं तो यह बिल्कुल साफ हो जाता है कि मराठों से उलट, टीपू असली योद्धा थे. पानीपत की लड़ाई में करारी हार के बाद मराठों का जिस तरह मनोबल टूटा, इसके मुकाबले टीपू का लगातार ज़बदस्त टक्कर देना क़ाबिल-ए-ग़ौर है. ये घटनाएं 40 वर्षों में घटीं यानि, 1761 (जब अहमद अब्दाली ने पानीपत की लड़ाई जीती) और 1799 जब टीपू सुल्तान मारा गया. इन सालों में अंग्रेज़ों ने अपने सभी दुश्मनों का हरा दिया और केवल पंजाब बचा रहा गया, जो कुछ दशकों में रणजीत सिंह की मौत के बाद अपने आप हथियार डाल देता. यह केवल टीपू ही था, जिसकी ओर से उन्हें असली प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. वह बहुत जांबाज जनरल था और उसे भू राजनीतिक विषयों की बहुत बारीक समझ थी (अंग्रेजों के ख़िलाफ़ फ्रांसीसियों को इस्तेमाल करना). इसके अलावा युद्ध के प्रति उसका नज़रिया बहुत अत्याधुनिक था.

दूसरी बात, यह जगजाहिर है कि टीपू की सेना ही पहली सेना या शुरुआती सेनाओं में से एक थी जिसने युद्ध में रॉकेट इस्तेमाल किए. उनके सिपाही रॉकेट में ब्लेड लगाते थे, जिन्हें दुश्मन की सेनाओं पर फ़ायर किया जाता था. टीपू को हराने के लिए ब्रितानी इतिहास के सबसे महान योद्धा आर्थर वेलेस्ली की सेवा लेनी पड़ी. वेलेस्ली, जिन्हें हम ‘ड्यूक ऑफ़ वेलिंगटन’ के नाम से जानते हैं, ने बाद में वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन को हराया. यह  बड़ी निराशाजनक बात है कि टीपू की सैन्य और राष्ट्रीय उपलब्धियों को आजकल बहुत आसानी से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है. टीपू के बारे में जो कुछ याद किया जा रहा है वो बस ये कि उसने हिंदुओं को मारा या धर्म परिवर्तन कराए, चाहे ये बात सही हो या ग़लत.

महान अशोक ने कलिंग को जीतने के बाद विदेशियों या मुसलमानों की हत्याएं नहीं कीं थीं. ये ओड़िया भाषी हिंदू ही थे जिन्हें उसने दसियों हज़ार की संख्या में क्रूरता पूर्वक मार डाला था, जैसा कि कहानियों में हमें बताया जाता है. लेकिन अशोक को महान कहा जाता है और उसका चिह्न ‘शेर’ भारतीय गणतंत्र का आधिकारिक चिह्न है. भारतीय झंडे में चक्र को अशोक चक्र कहा जाता है क्योंकि यह भी उसी का चिह्न है. हम क्यों अशोक का सम्मान करते हैं लेकिन टीपू का नहीं, जबकि दोनों पर ही एक ही जैसे अपराध करने के आरोप हैं? हम इसका जवाब जानते हैं और यह स्वाभाविक ही है. भारत में एक मुसलमान राजा को वैसे ही अपराध के लिए माफ नहीं किया जा सकता, जैसा एक हिंदू राजा ने किया हो. पटियाला की विशाल इमारत को महाराज आला सिंह ने बनवाया था. उनके नाम सैन्य उपलब्धियां शून्य के बराबर हैं. लेकिन आला सिंह ताक़तवर हो गए थे क्योंकि उन्होंने मराठाओं को हराने में अब्दाली का साथ दिया था और उन्हें अफ़गान शासकों की ओर से पुरस्कृत किया गया. क्या कोई आला सिंह या उनके पूर्वजों को देशद्रोही के रूप में देखता है?पटियाला के राजा लगातार महाराजा रणजीत सिंह का विरोध करते रहे, लेकिन उन्हें कोई भी राष्ट्र विरोधी के रूप में नहीं देखता. ऐसा बर्ताव केवल मुस्लिम राजाओं के लिए ही आरक्षित है. ऐसे लोगों के बारे में पढ़ने या लिखने में हमारी दिलचस्पी नहीं है, बल्कि ऐसे लोगों के बारे में बुरे से बुरा मान लेने और ऐसी चीजों के बारे में विरोध करने की हममें हमेशा दिलचस्पी रहती है, जिनके बारे में हम बहुत थोड़ा जानते हैं.

सोजन्य – 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Войдите и Онлайн-казино 1win же Получите Приветственный Бонус

1win Официальный Сайт Букмекерской Конторы 2023 Онлайн Ставки на...

Букмекерская Контора 1вин

официального Сайт И Зеркало 1winContentЛицензия на Проведение Азартных Игр...

1win Türkiye Giriş Yap Ve Oyna Bonus Twenty-four, 000

1win Giriş 1win Güncel Giriş Adresi 2025 1win Türkiye"ContentDestek...