उदयपुर । सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क में रणथंभौर से शिफ्ट किए गए टाईगर टी-24 (उस्ताद) के पार्क में 90 दिन पूर्ण हो गए है और इस अवधि में उसे इस पार्क की आबोहवा बड़ी रास आ रही है।
मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने बताया कि पार्क में नोन डिस्प्ले क्षेत्र में रखा गया टाईगर टी-24 पिछले 90 दिनों में पूर्णतया स्वस्थ एवं सामान्य दिखाई रहा है। दूसरी ओर बाधिन दामिनी जो कि अपने डिसप्ले क्षेत्र में रहते हुये अक्सर उस्ताद के बाडे के पास आकर नर की टोह लेती हुई नजर आती है। उस्ताद पूरी गर्मी में जब-तब उसके वाटर हॉल के पास पानी से बने पूल में या वाटर हॉल में ही बैठा हुआ नजर आता था। कई बार वह उसके लिये बनायी गयी घास की टपरिया जैसी छाया में भी सोना पसन्द करता है। उन्होंने बताया कि इसे प्रतिदिन जो खाना दिया जाता है उसके बचे हुये अवशेष को अगले दिन रोजाना तोला जाता है ताकि उसके भोजन की स्थिति को मॉनिटर किया जा सके । इन 90 दिनों में उस्ताद ने हमेशा अपना सामान्य खाना लिया, सामान्य ढंग से पानी पीया एवं बाघोचित जल क्रीड़ा, भूमि पर पगथली करना जैसे जैविक व्यवहार प्रदर्शित किए। टाईगर टी-24 के शांत व्यवहार एवं यहां की आबोहवा में घुलने को देखकर विभागीय अधिकारी भी बड़े खुश नज़र आ रहे हैं।
बाघिन दामिनी के कान का हुआ आपरेशन
शहर में सज्जनगढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थापित राजस्थान के पहले बायोलोजिक पार्क में बाघिन दामिनी के कान का रविवार को आपरेशन किया गया।
पार्क प्रभारी व उप वन संरक्षक टी. मोहनराज ने बताया कि पार्क में 6 माह पूर्व पूना चिडि़याघर से लायी गई 11 वर्षीय दामिनी बाघिन को छः दिन पूर्व कान से संबंधित अस्वस्थता महसूस हुई थी जिस पर वन्यजीव चिकित्सक डॉ. हिमांशु व्यास ने जांच की तो पाया कि इसे ईयर-हिमेटोमा हो गया है। चिकित्सकों द्वारा तुरन्त ही बाघिन के कान का उपचार प्रारम्भ किया गया लेकिन शीघ्र लाभ नहीं होने से ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। इसके बाद रविवार सुबह जयपुर चिडि़याघर के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविन्द माथुर एवं जैविक उघान सज्जनगढ़ के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. हिमांशु व्यास ने दामिनी के कान का ऑपरेशन कर उपचार किया। मोहनराज ने बताया कि आपरेशन के बाद अब बाघिन अधिक स्वस्थ एवं प्रसन्नचित है और अगले 3-4 दिन सघन चिकित्सकीय प्रेक्षण में रखने के कारण इसे दर्शकों हेतु डिसप्ले क्षेत्र में नहीं छोड़ा जायेगा।