उदयपुर, शहर में बढते ट्राफिक दबाव को देखते ऐलेवेटेड रोड और ओवर ब्रिज की दरकार है ओर इसी के चलते राज्य सरकार ने शहर के बीचो बीच एलीवेटेड रोड की स्वीकृति दे दी। प्रतापनगर चौराहे पर ओवर ब्रिज की भी देर सवेरे स्वीकृति हो जायेगी। अब अगर इण्डिस्ट्रीयल एरिया को जोडने वाले ठोकर रेल्वे क्रांसिग पर ओवर ब्रिज स्वीकृति हो जाता है तो ट्राफिक की समस्या से शहर की निजात मिल जाएगी।
इन दिनों शहर सबसे बडी समस्या बढता ट्राफिक पिछले कई सालों से नगर निकाय कोर्ट चोराहे से उदियापोल तक एलीवेटेड रोड की स्वीकृति की कोशिश कर रहे थे। कई बार आखिरी चरणों तक आकर स्वीकृति रद्द हो गयी लेकिन पिछले दिनों शहर की मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी।
प्रतापनगर बाईपास पर ट्राफिक का भारी दबाव व आये दिन दुर्घटनाएं होती रही है इसी को देखते हुए यूआईटी ने बाईपास पर ओवर ब्रिज प्रस्तावित किया जो कि सिर्फ नेशनल हाइवे आथोरेटी ऑफ इण्डिया की स्वीकृति नहीं आने से अटका हुआ है चुकी ओवर ब्रिज नेशनल हाइवे पर बनना है इसलिए उनकी स्वीकृति के बिना काम संभव नहीं है लेकिन अधिकारियों की माने तो यह स्वीकृति जल्दी ही मिलने वाली है। ठोकर चौराहे पर आये दिन रेल्वे क्रासिंग की बंद फाटक से जाम लगता है ओर इसकी वजह से वाहनों का जमावडा सुंदरवास से कुम्हारों का भट्टा तक पहुंच जाता है। इससे निपटने के लिए यूआईटी ने करीब आधा दशक पूर्व आरओबी (रेल्वे ओवर ब्रिज) की योजना बनायी थी। जिसके लिए जमीन भी अवाप्त की जा चुकी थी। लेकिन दो साल पहले शासन सचिव जी.एस.संधु अपने उदयपुर दौरे के दौरान एलीवेटेड रोड के साथ साथ ठोकर चौराहे के ओवर ब्रिज की भी तकनिकी रूप से गलत बता कर निरस्त कर गये है। जिससे राज्य सरकार ने एलीवेटेड रोड की स्वीकृति तो दे दी ठोकर चौराहे को आरओबी पर गौर नहीं किया। यदि अधिकारी और जनप्रतिनिधि थोडी कोशिश करे तो यह बडा कार्य हो सकता है।
ठोकर चौराहे पर ओवरब्रिज इसलिए जरूरी है कि रेल्वे क्रासिंग के उस पार पूरा इंडस्ट्रीयल एरिया के साथ साथ करीब २० गांवों को यह रोड जोडती है इसी वजह से यहां ट्राफिक का दबाव ज्यादा रहता है। और बार बार रेल्वे फाटक बंद होने से जाम लगता है। जो ठोकर चौराहे से सूरजपोल तक रहता है। अधिकारियों ओर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ठोकर चौराहे पर ओवर ब्रिज बनता है तो ट्राफिक की समस्या से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है। इस ओवरब्रिज डीपीआर, जमीन अवाप्ती तक का काफी काम हो चुका है । बात सिर्फ राज्य सरकार के सामने प्रभावी ढंग से रखने की है जो जनप्रतिनिधि व अधिकारी चाहे तो कुछ ही दिनों में संभव है।