भावेश जाट
उदयपुर। प्रतापनगर चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल किसी काम के नहीं हैं। इनकी लाइट्स नहीं जलती है, जिससे सही लेन में अथवा सही तरीके से चलने वाले वाहनधारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह भी एक कारण है कि यहां पर आए दिन दुर्घटनाएं देखने को मिलती है। इन दुर्घटनाओं में नियमों की पालना करने वालों को भी अपनी जिन्दगी से हाथ धोना पड़ा है। चौराहे पर जिसे जहां से समझ में आता है, वह वहां से निकलने का प्रयास करता है, जिससे यहां पर जाम लग जाता है या दुर्घटना हो जाती है।
पीली बत्ती तो जलती ही रहती है: प्रतापनगर चौराहे पर लगी सिग्नल लाइट्स लंबे समय से खराब पड़ी हुई है, जिसको ठीक करवाने की जहमत विभाग नहीं उठा रहा है, यही कारण है कि यहां से गुजरने वाले वाहनधारी भ्रमित हो जाते हैं और सिग्नल के चक्कर मेें हादसे को न्यौता दे बैठते हैं। इस सिग्लन पर सारी बत्तियां लगी हुई है, लेकिन उसमें से सिर्फ रास्ता खुला होने का संकेत देने वाली पीली बत्ती ही जलती हुई पाई जाती है। इससे चारों तरफ से आने वाले वाहनों को खुले रास्ते का संकेत मिलता है और वेे तेज गति से आ जाते हैं, जिससे हादसा हो जाता है।
> जिम्मेदारों को परवाह नहीं: सिग्नल के बंद होने या चालू होने की विभाग को बिल्कुल परवाह नहीं। हादसा होता, तब इसे ठीक कराने की बाते चलती है, फिर सभी हाथ पर हाथ धरे बैठ जाते हैं। इससे लगता है यहां पर लगे सिग्नल का कोई औचित्य नहीं है। ये केवल दिखावा मात्र है।
> ट्रैफिक पुलिस को परेशानी: चौराहे पर सिग्नल्स के नहीं चलने से यहां पर ड्यूटी निभा रहे ट्रैफिक पुलिस वालों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। फिर भी तेज गति से आते वाहनों की वजह से कई बार हादसा हो जाता है।
> यात्रायात विभाग पड़ा हेै सुस्त : यह कार्य यात्रायात विभाग के अधीन आता है लेकिन यहां पर सिग्नल लाइट्स ठीक कराने का किसी के पास समय नहीं है कई बार हादसे हो जाने के बाद भी यात्रायात विभाग इन्हे सहीं करवाने की जहमत नहीं उठा रहा।
॥ नगर निगम द्वारा नये बूथ तैयार किए जाएंगे, जिसके तहत प्रतापनगर के सिग्नल भी ठीक हो जाएंगे।
-राजेंद्र त्रिपाठी, ट्रैफिक डिप्टी
प्रतापनगर चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल किसी काम के नही है
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