उदयपुर. यहां से मुम्बई 900 किलोमीटर का सफर यात्रियों की जेब पर इतना भारी पड़ रहा है कि रेलवे का प्रथम एसी श्रेणी का किराया भी पीछे छूट जाए।
गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई के लिए रोडवेज बस नहीं होना, बांद्रा एक्सप्रेस ट्रेन के सप्ताह में केवल तीन दिन होने से खचाखच चल रही है। निजी बस संचालक चांदी काट रहे हैं।
हाल ये हैं कि इन दिनों प्रति यात्री ढाई से तीन हजार रुपए तक वसूले जा रहे है। इधर, किसी तरह केवल सीट मिल जाने को यात्री राहत समझ रहे हैं।
ओवरलोड निजी बसों में मुम्बई जाने के लिए भारी किराया चुकाने के बाद भी चालक के केबिन या सीटों के बीच गैलेरी में रखी मुड्डियों पर बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं।
यात्रियों को हो रही परेशानी की असलियत जानने के लिए निजी बस संचालकों से मुम्बई का टिकट लेने का प्रयास किया तो पहले टिकट उपलब्ध होने से इनकार कर दिया।
लौटने पर बस संचालकों ने आवाज दी कि एक-दो टिकट बाकी हैं, लेकिन महंगे हैं। बाद में वे 3000 रुपए मंे मुम्बई ले जाने के लिए तैयार हो गए। सीट के बजाए केबिन या मुड्डी पर बैठाने के लिए 1500 रुपए मांगे।
बांद्रा एक्सप्रेस भी खचाखच
सप्ताह में तीन दिन चलने वाली उदयपुर-बांद्रा एक्सप्रेस में 18 जून से पहले किसी श्रेणी में टिकट उपलब्ध नहीं हैं। मुम्बई की यात्रा के लिए लोग मजबूरी में बसों की ओर दौड़ रहे हैं।
टे्रन में स्लीपर का किराया 475 रुपए, थर्ड एसी का 1250 रुपए व सैकण्ड एसी का 1785 रुपए किराया है।
परेशान यात्रियों ने बताया कि उदयपुर-बांद्रा सप्ताह के सातों दिन चलने लगे तो लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है।
बंद हो गई रोडवेज बस
पहले रोडवेज की एक बस मुम्बई के लिए संचालित थी, लेकिन यात्री भार नहीं होने से बंद कर दी गई।
दरअसल सीजन में तो रोडवेज को जमकर यात्री मिलते हैं, लेकिन जुलाई खत्म होते-होते यात्रियों का टोटा हो जाता है। उस समय निजी बस संचालक 300-350 रुपए में भी मुम्बई ले जाने को तैयार हो जाते हैं।