रंगशाला में नाटक ‘‘ख़राशें’’ का मंचन
दर्द और टीस से भरी घटनाओं का सामयिक चित्रण
उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से मासिक नाट्य संध्या ‘‘रंगशाला’’ में रविवार शाम नाटक ‘‘ख़राशें’’ प्रसिद्ध शायर व गीतकार गुलज़ार की कथाओं का मंन किया गया जिसमें इतिहास में घटित घटनाओं की टीस तथा हालातों को आज के माहौल से जोड़ कर दर्शाने का प्रयास किया गया।
जम्मू के कला दल पंचम की इस प्रस्तुति में एक गाम्भीर्य था जो प्रारम्भ से अंत तक बना रहा। एक-एक कर घटनाएँ दर्शकों के सामने उवाच रूप में आती गई और उसके दर्द को बयां करती रही। भपिन्दर सिंह जामवाल द्वारा निर्देशित इस प्रस्तुति में कलाकारों का अभिनय लाजवाब बन सका वहीं निर्देशकीय कसावट प्रस्तुति का सशक्त पक्ष रहा। प्रस्तुति में कलाकारों ने चार कथाओं हिलसा, खौफ, रावी पार तथा खुदा हाफिज़ का मंचन किया जिसमें बंटवारे का दर्द, मुंबई दंगों में रेल में खौफ से यात्रा करते युवक तथा बलात्कार जैसी घटनाओं के दर्द को प्रस्तुति में बखूबी ढंग से उबारा गया।
नाटक में सुरेश शर्मा, तपेश वार दत्ता, विजय गोस्वामी, जे.आर. सागर, आर्य वीर सिंह जांडरहिया, गुरमीत जामवाल, पूनत सुदन, प्रदीप शर्मा, रिनी शर्मा आदि का अभिनय चरित्रों के अनुकूल सशक्त बन सका। प्रस्तुति में प्रकाश संयोजन विजय कपूर का था तथा संगीत भूपिन्दर सिंह का था। प्रस्तुति के बाद केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने कलाकारों का माल्यार्पण अभिनन्दन किया।