पोस्ट न्यूज़। ‘‘ मैं गीता पर हाथ रखकर कसम खाता हूं कि जो कुछ कहूंगा सच कहुगां और सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा’’ यह स्पश्टीकरण आपने फिल्मों और न्यायपालिका में तो कई बार सुना होगा, लेकिन उदयपुर संभाग के डूंगरपुर जिले के एक गाँव में महादेव के मंदिर में सच बोलने और अपराध नहीं करने की कसम खाई और जो दो युवकों ने शपथ नहीं खाई और नदारत दिखे तो शक उन पर तेज हो गया कुछ हद तक पुलिस का रास्ता भी साफ़ हो गया पुलिस मामले की जांच कर रही है। महादेव की शपथ विवेकानंद की प्रतिमा को आग लगाए जाने को लेकर खाई गयी।
डूंगर पुर जिले के मंझोला गाँव में ऐसा मंदिर है जहां पर आज भी किसी भी अनसुलझे अपराध की तह तक जाने के लिए हर खासोआम को महादेव की सामने बैठकर खुद को पाक साफ साबित करना होता है और अगर नहीं कर पाया तो वह स्वतः ही अपराधी मान लिया जाता है। वैसे हर अपराध का निदान खाकी करती है और अगर खाकी भी फेल हो जाए तो न्यायपालिका से तो न्याय की आस रहती ही हैै, लेकिन डूंगरपुर जिले का एक ऐसा गांव जहां अपराधी तक पंहुचने में खाकी फेल हो गई तो लोगों ने अपने पुरखों की प्रणाली को अपनाते हुए न सिर्फ अपराधी की खोज की बल्कि उन अपराधियों को खाकी की शरण में पंहुचाने में भी महत्ती भुमिका निभाई। जी हां आस पर आस्था की ऐसी कहानी आपने आजाद भारत में आज तक नहीं देखी होगी। जहां न्यायमूर्ति आज भी देवा दी देव महादेव हैं और उनकी शरणों में जाने से न्याय न मिले ऐसा संभव ही नहीं है।
यह घटना है डूंगरपुर जिले के मझोला गांव का गोपेष्वर महादेव मंदिर की जहां पर दो दिन पूर्व अंधविष्वास की एसी कहानी हकीकत बन गई जिसने खाकी को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। महादेव के चमत्कार ने वह कर दिखाया जो यहां की खाकी पिछले 12 दिनों में न कर पाई। दरअसल जिले के मझोला गांव में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को आग लगाने की घटना और पुलिस की सारी तफ्तिशों के बावजुद कोई सुराख हाथ न लगा, तो ग्रामीणों ने पुरखों की न्याय प्रणाली ‘‘आस्था’’ का सहारा लिया। परम्पराओं की चैपाल जमी और शिव को साक्षी मानकर शपथ लेने की तैयारी हुई। आस्था की इस अदालत का प्रभाव ऐसा हुआ कि शपथ से पहले ही वारदात के समय मौके पर देखे गए दो संदिग्धों के नाम सामने आ गए। आपको बता दे कि विवेकानंद की प्रतिमा जलाने के बाद से पूरा गांव उद्वेलित था। वारदात के बाद से ही कई बार बैठकें हुई। खाकी ने भी एढ़ी चोटी का दम लगा दिया। बाद में बुजूर्गों की रायशूमारी के बाद तय किया गया कि कस्बे कें ‘‘गोपेश्वर महादेव’’ मन्दिर में गांव के हर घर का आदमी इस घटना को लेकर शपथ लेगा। फिर क्या था, सुबह से ही यहां पर मजमा जम गया था। मुखिया मोतबीर अपने – अपने वार्डों से उपस्थित- अनुपस्थितों की सूची बन रहे थे। जैसे ही शपथ लेने की तैयारी शुरू हुई। इसी दौरान दो युवक बोल उठे कि घटना के दिन देर शाम को तिराहे पर लगी प्रतिमा के समीप कुछ लोग बैठक कर शराब पी रहे थे। ग्रामीणों की पूछताछ में दो युवकों का नाम भी बताया। यह दोनों युवक चैपाल से नदारद थे। इस पर इनके मोबाइल पर सम्पर्क किया तो स्वीच ऑफ आया। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच महादेव के आगे बेठकर षपथ लेते हुए लोगों ने खुद को पाक साफ बताया पुलिस अब आगे की कारवाई कर रही है।