सूचना के अधिकार के तहत खुला मामला
असहाय पिता पीड़ित बेटी के लिए कर रहा गुहार
दहेज प्रताडना का मामला
उदयपुर, अपनी बेटी और नवासी को न्याय दिलाने के लिए नाहर सिंह पिछले छह महिनों से पुलिस के आला अधिकारियों के चक्कर काट कर आखिर थक के कह उठा कि अब तो पुलिस से भरोसा उठ गया।
फतहपुरा के रामदास कालोनी निवासी नाहर सिंह ने अपनी इकलौती पुत्री गुडिया (परिवर्तित नाम) की शादी जयपुर निवासी प्रवीण से बडे अरमानों से करायी थी और ससुराल वालों को खुश करने अपनी बचत की पाई पाई लगा दी। गुडिया की शादी के कुछ ही दिन बाद जयपुर से फ़ोन आया । नाहर सिंह ने सोचा की कोई खुशखबरी होगी लेकिन काल दहेज की मांग का था और आरोप लगाया कि गुडिया की जो बाजुबंद दिया वह नकली है ओर यह असली दिया जाय साथ ही उन्होंने गुडिया के साथ मारपीट कर दहेज के लिए प्रताडित करना शुरू कर दिया। जब गुडिया गर्भवती हुई तो उसको गर्भपात के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया। लाचार नाहर सिंह जब अपनी बेटी से मिलने जयपुर पहुंचे तो ससुर कन्हैयालाल, सास कांता बाई, जेठ हेमंत, अनिल ओर प्रदीप उन पर टूट पडे क्यों कि फर्नीचर के नाम पर उन्होने सवा लाख मांगे थे। जिसमें से नाहर सिंह ने ६० हजार ही दिये थे। गुडिया के पिता नाहर ङ्क्षसह भारी मन से वापस उदयपुर आ गये।
कुछ दिनों बाद गुडिया के पति प्रवीण को जयपुर के बांगड अस्पताल में भर्ती कराया तब नाहर सिंह को अन्य लोगों की मार्फ़त और नाहर सिंह गुडिया के मामा पन्ना लाल पगारिया व अन्य परिचित के साथ जयपुर मिलने गये लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया और हाथापाई भी कर दी। उपचार के दौरान प्रवीण की मौत हो गयी तब गुडिया के परिजनों को पता चला कि प्रवीण को पहले से ब्रेन टयूमर था जिसका पता गुडिया के परिजनों को नहीं लगने दिया। अपनी इकलौती पुत्री के विधवा होने का दूख साथ ही ससुराल वालों का राक्षसी रवैया नाहर ङ्क्षसह ने बातया कि बेटी के ससुराल पक्ष ब्याह के वत्क्त दिया गया तमाम सामान अपने कब्जे में ले रखा है।
नाहर सिंह ने बताया कि बेटी व नवासी सुखद भविष्य के लिए कोर्ट के जरिये महिला थाने में गुडिया ने मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने पिता नाहर सिंह, मां प्रेम देवी , मामा पन्ना लाल पगारिया व नरेन्द्र ङ्क्षसह शेखावत के बयान दर्ज किये थे। जब सूचना के अधिकार के तहत बयान की प्रति मांगी तो पता चला कि पुलिस ने बयान ही बदल दिये। यहीं नहीं पुलिस ने पीड़ित पक्ष पर मामला उठाने व समझौता करने का दबाव भी बनाया। जांच अधिकारों को बदलने के लिये भी आईजी एसपी को ज्ञापन दिये गये लेकिन न्याय को कहीं आस नहीं जगी। एसपी के आदेश पर जांच डिप्टी को सौंपी गयी लेकिन डिप्टी ने भी पीडित पक्ष से बयान लिये बिना ही रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी। अब नाहर ङ्क्षसह सवाल कर रहे हे कि अपनी पुत्री ओर नवासी को न्याय दिलाने कहां जाये।
अब तो पुलिस से भरोसा ही उठ गया है ….
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