कांग्रेस ही नहीं भाजपा नेता भी गेंहू घोटाले में लगा रहे हैं राजनैतिक संरक्षण का आरोप, सोशल मीडिया में आनंदमयी गेंग पर कसे जा रहे हैं तंज
उदयपुर । सराड़ा क्रय-विक्रय समिति के गेंहू घोटाले कांग्रेस ही नहीं भाजपा नेता भी राजनैतिक संरक्षण का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर आनंदमयी गैंग का एक और कारनामा से पोस्ट वायरल हो रही है। इस गंभीर मामले में डीएसओ ने भी अब तक पुलिस में कोई मामला दर्ज नहीं कराया है, जिससे गेंहू घोटाले में राजनैतिक संरक्षण के आरोपों को बल मिल रहा है। इधर डीएसओ ने मामला दर्ज करवाने की बात कही है।
सूत्रों के अनुसार विभिन्न क्रय-विक्रय समितियों द्वारा राशन के गेंहू, राशन के अन्य सामान में हेराफेरी की जाती है, जिसका एक बड़ा हिस्सा हर महीने कुछ बेइमान नेताओं की जेब में जाता है, जो लाखों में होता है। इन्हीं नेताओं द्वारा दिए जा रहे संरक्षण के दम पर गरीबों के मुंह का निवाले की लूट हो रही है। गौरतलब है कि गरीबों को रियायती दर पर दिया जाने वाला राशन का गेंहू जांच के दौरान रिकार्ड में 212 क्विंटल कम पाया गया। पुलिस और रसद अधिकारियों ने रविवार को मादड़ी रोड स्थित क्रय-विक्रय सहकारी समिति सराड़ा के स्टॉक के गौदाम पर छापामार कार्रवाई कर जांच की थी, जिसमें रिकार्ड में 2644 क्विंटल गेंहू था, जबकि तोलने पर 2432 ही मिला। इस मामले में अभी तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है और ना ही पुलिस ने किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया है, जबकि क्रय-विक्रय समिति के अध्यक्ष, ट्रांसपोर्टर और व्यवस्थापक के खिलाफ मामला दर्ज होकर गिरफ्तारी होनी चाहिए थी। हालाँकि डीएसओ जगमोहन सिंह ने कहा है की जल्दी ही दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जायेगा।
हर एक को जाता है हिस्सा : गरीबों के गेंहू को आटा मिल में बेचने का खेल किसी एक का काम नहीं है। यहां पर नीचे से ऊपर तक सब भ्रष्ट है। सूत्रों के अनुसार हर महीने लाखों रुपए का यह खेल नेता से लेकर अफसर तक की जेब भरता है। इसीलिए यह चोरी सालों से चल रही है। सिस्टम के तहत खाद्य विभाग तय करता है कि कौन-सी क्रय-विक्रय सहकारी समिति के पास कितना गेंहू जाना है। बाद में क्रय-विक्रय समिति का काम राशन डीलरों को सप्लाई का होता है। समिति किसी ट्रांसपोर्टर को डीएसओ से अप्रूव्ड करवाकर राशन डीलरों तक राशन पहुंचाने का काम करती है। समिति के गोदाम से ट्रांसपोर्टर गेंहू लेकर राशन डीलरों को सप्लाई करने के लिए निकलता है, लेकिन ये गेंहू राशन डीलरों तक नहीं पहुंचकर बड़ी-बड़ी आटा मीलों में पहुंच जाता है। डीएसओ की यह जिम्मेदारी रहती है कि वह इस बात की निगरानी रखे कि राशन का गेंहू गरीब तक पहुंच रहा है या नहीं। लेकिन डीएसओ अपनी निजी स्वार्थ के लिए यहां पर आंखें मूंद लेता है। जानकारों ने बताया कि महीने के लाखों रुपए के इस घोटाले में सत्ता पक्ष के नेताओं का संरक्षण होता है।
आनंदमयी गैंग पर एक और आरोप : पंचायत चुनाव में लाखों रुपए की वसूली का हिसाब अभी हुआ नहीं है और आनंदमयी गैंग पर पर अब गेंहू की काला बाजारी का आरोप भी लग गया है। सोशल मीडिया में गेहूं के इस घोटाले को लेकर आनंदमयी गेंग का एक और कारनामा बताया जा रहा है।
इनका कहना…
राजनीति संरक्षण के बिना गेंहू का यह इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और इसके पीछे जो भी नेता या अधिकारी है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में मैंने जिला कलेक्टर सहित मुख्य मंत्री खाद्य मंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है।
मांगीलाल जोशी, भाजपा नेता
गरीबों के गेंहू का घोटाला निंदनीय है। बिना राजनीति संरक्षण के इस तरह का घोटाला संभव नहीं है। इस मामले में जो भी शामिल है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और व्यवस्था में सुधार होना चाहिए, ताकि गरीबों का उनका हक मिल सके।
-महेंद्रसिंह शेखावत, पूर्व उप महापौर
इस मामले की जांच रिपोर्ट आगति है स्टॉक के हिसाब से २१२ क्विंटल गेहूं काम मिला है, जो भी इस मामले में शामिल होंगे। उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। -जगमोहन, जिला रसद अधिकारी