उदयपुर। एक नन्ही बेटी हंसती खेलती सी, फिर परिजन गोद में उठाये भागे, गोद से कंधे पर लुडक गयी और कंधे से अब अर्थी तक पहुच गयी,यह हुआ सिर्फ धरती के भगवान् कहे जाने वाले डॉक्टरों की गैर जिम्मेदारी से
सरकारी अस्पताल चाहे गाँव का हो या शहर का चाहे कोई छोटी डिस्पेंसरी हो या मेडिकल कोलेज का बड़ा अस्पताल डॉक्टरों की लापरवाही के किस्से आम है .,
गुरुवार जोधपुर की घटना जिसमे एक छोटी बच्ची को सांप के काट लिए जाने के बाद ना तो डिस्पेंसरी में इलाज मिला ना ही शहर के बड़े सरकारी अस्पताल में और आखिर इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि उस नन्ही मासूम कलि की मौत हो गयी।
राजस्थान पत्रिका में छपी खबर के अनुसार माने तो इसमें गाँव से लेकर शहर के मेडिकल कोलेज के बड़े अस्पताल तक एक भी डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो शायद उस मासूम को बचा लिया जाता।
लेकिन एसा नहीं हुआ उस ढाई साल की बच्ची को देख कर किसी का दिल नहीं पसीजा ,… ड्रग वेयर हाउस में लाखों के एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन पड़े रह गए और एक इंजेक्शन के लिए ढाई साल की बेटी तरस गयी और आखिर उसने दम तोड़ दिया।
आइये एक बार इस पूरी घटना को जानते है
जैसा कि राजस्थान पत्रिका के 27 अप्रेल के अंक में प्रकाशित हुआ है ,..
जोधपुर के कडवड क्षेत्र के टपू कड़ा गाँव में ढाई साल की मासूम अनुष्का को सांप ने काट लिया ,.. परिजन भागे भागे गाँव के अस्पताल में ले गए लेकिन वहां इलाज नहीं मिला वहां से भागे पास के भदवासिया स्थित अस्पताल में गए ,.. वहां भी प्राथमिक उपचार देने के बजाय जोधपुर शहर के महात्मा गांधी अस्पताल रवाना कर दिया। बच्ची के चाचा उसे गोद में लेकर गांधी अस्पताल पहुंचे, यहां से भी मथुरादास माथुर अस्पताल की जनाना विंग में इलाज का हवाला देकर बिना प्राथमिक उपचार के ही चलता कर दिया। वहां पहुंचते ही बच्ची को आईसीयू में भर्ती करने के कुछ देर बाद मृत घोषित कर दिया गया।
पुरे घटना क्रम में सिर्फ एक डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी समझ कर बच्ची का प्राथमिक उपचार कर आगे के लिए रेफर किया होता तो शायद बेटी बच जाती . अब जिम्मेदार लोग घटना की जांच करने को कह रहे है.
क्या सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों की जान की कोई कीमत नहीं है, सरकार को इन बातों की जांच करनी चाहिए ताकि फिर कोई ढाई साल की अनुष्का सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी मौत के आगोश में नहीं चली जाए .
https://youtu.be/cmDURu6Exgo