परिवार को आर्थिक बीमार कर देता है कैंसर रोग

Date:

दूसरे दिन की कार्यशाला में कम खर्च में बेहतर इलाज पर हुई चर्चा

images (1)उदयपुर, कैंसर का इलाज रोगी को ही नहीं, उसके परिवार को भी आर्थिक बीमार कर देता है। इस तरह की चर्चा के शनिवार को स्तन कैंसर पर आयोजित कार्यशाला के द्वितीय सत्र में हुई। मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की स्तन कैंसर सर्जन डॉ. वानी परमार ने अधिक उम्र में शादी व बच्चे होना, स्तनपान से परहेज करवाना और बढता धूम्रपान को कैंसर की झड बताया।

डॉ. परमार जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल और एसोसिएशन ऑफ बेस्ट सर्जन ऑफ इंडिया (एबीएसआई) की ओर यहां पारस हिल रिसोर्ट में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय सत्र को संबोधित कर रही थी। उन्होंने बताया कि कैंसर ग्रामीण लोगों की बजाय शहरी लोगों में अधिक पाया जा रहा है। महिलाओं में काम, कैरियर को प्राथमिकता देने के कारण अधिक उम्र में विवाह करना, अपने शिशुओं को स्तनपान ना कराना और धूम्रपान व नशे को अपनाना प्रमुख कारणों में सामने आ रहा है। रोगी का कैंसर की बिगडी हुई स्थिति में पता चलने के कारण उसका झडमूल खात्मा की संभावनाएं कम हो जाती है। इस तरह का रोग तीस से पैतीस साल की उम्र के बाद सामने आती है। यदि परिवार में एक से अधिक लोगों को कैंसर की शिकायत होती है तो अन्य सदस्यों में भी जैनेरेटिक संभावनाएं बढ जाती है। इसका पहले से पता लगाकर इलाज लेना ही उचित होता है। बेस्ट कैंसर सर्जन डॉ. गरिमा मेहता ने बताया कि यह रोग रोगी के साथ उसके परिवार को भी आर्थिक बीमार कर देता है। इसके लिए हमारा दायित्व है कि रोगी व उसके परिवार को सहानुभूति के साथ सस्ता इलाज मुहैया कराया जाए। आवश्यकता, डॉक्टर्स, दवा कंपनियों के अलावा सरकार को भी इस अभियान में शामिल होने की है। इस दौरान देश विदेश से पहुंचे विशेषज्ञों ने कैंसर उन्मूलन, सस्ते इलाज पर चर्चा की। कार्यशाला का तीसरा तथा चौथा सत्र उम्र के साथ बढते कैंसर के खतरे पर रहा।

हर गांठ कैंसर नहीं, हर दर्द आम नहीं: डॉ. मेहता ने बताया कि आम धारणा बन चुकी है कि स्तन में गांठ होने पर उसे कैंसर मान लिया जाता है। यह भ्रांति मात्र भी हो सकती है। इसके अलावा किसी गांठ को दूध की गांठ मानना भी नासमझी हो सकती है। इसके लिए बेहतर है कि डॉक्टर से बेहिचक मशविरा ले लिया जाए। शुरुआती स्तर पर ही पता चलने पर स्तन निकालने की स्थिति नहीं बनती है।

जांचों के दुष्परिणाम भी जाने: द्वितीय सत्र में डॉक्टरों के बीच इलाज से पूर्व होने वाली जांचों को लेकर चर्चा हुई। इस दौरान सामने आया कि रोगी के रोग के मुताबिक ही जांच कराई जाए। पेट स्केन, एक्स-रे, सिटी स्केन, सोनोग्राफी सहित अन्य जांचों के दुष्परिणाम को भी डॉक्टरों को ध्यान में रखकर ही मशविरा देना चाहिए। इससे रोगी को ज्यादा जांचों के दौर से निजात मिलेगी, साथ ही जांचों पर होने वाले खर्च से भी राहत मिलेगी।

कैंसर हॉस्पिटल देगा राहत: संभाग सहित मध्यप्रदेश के जिलों में फैल रहे कैंसर व यहां इसकी विशेषता वाले हॉस्पिटल की कमी जीबीएच अमेरिकन का कैंसर हॉस्पिटल पूरा करेगा। यह बात हॉस्पीटल के निदेशक डॉ. कीर्ति जैन ने कहीं। उन्होंने कहा कि आदिवासी बाहुल इस क्षेत्र में कैंसर के इलाज की सुविधा नहीं होने से रोगियों को अन्य राज्यों में जाकर इलाज कराना मजबूरी बना हुआ है। इसके अलावा एक छत के नीचे कैंसर से संबंधित सभी तरह के इलाज मुहैया नहीं होने से रोगी को भटकना पडता है। जीबीएच अमेरिकन हॉस्पीटल आगामी दिनों में कैंसर उन्मूलन के लिए समर्पित चैरिटेबल कैंसर हॉस्पीटल ला रहा है जहां यह रोगियों का बेहतर इलाज बेहद कम दरों पर उपलब्ध होगा। इस हॉस्पीटल में कैंसर रोग के उन्मूलन में मील का पत्थर साबित होगा।

इन्होंने रखे विचार: दूसरे दिन की कार्यशाला को एवीएसआई के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र पटेल, निर्वाचित अध्यक्ष नई दिल्ली के डॉ. चिंतामणी, डॉ. विनित गुप्ता, डॉ. एस.वी.एस. देव, चैन्नई के डॉ. शैलवी राधाकृष्णन, लखनऊ के डॉ. गौरव अग्रवाल, मुंबई की संगीता देसाई, दिल्ली के डॉ. डी.एन. शर्मा तथा जयपुर के अंजूम जोधा ने विचार रखें और लाइव डेमोस्टे्रशन दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

what truly is it like to date a rich woman?

what truly is it like to date a rich...

Find love with a mature dating site usa

Find love with a mature dating site usaMature dating...

Find love on the most useful dating apps for asexuals

Find love on the most useful dating apps for...

Tips for meeting and dating other bisexual men

Tips for meeting and dating other bisexual menIf you...