नई दिल्ली, २ मार्च। अरूण जेटली द्वारा प्रस्तुत किए गए केन्द्रीय बजट में दो नई योजनाओं के साथ अल्पसंख्यकों के लिए आवंटित राशि में केवल न्यूनतम बढोतरी ही दिखाई देती है तथा वर्तमान में चल रही योजनाओं के लिए बजट में या तो न्यूनतम आवंटन ही किया गया है अथवा उन्हें आकस्मिक रूप से बंद करने की घोषणा की गई है।
अल्पसंख्यक मामलात विभाग, जो कि सभी योजनाओं तथा नियमित कार्यों की योजना, समन्वय, मूल्यांकन तथा परीक्षण एवं अल्पसंख्यक समुदायों के हितों के लिये तैयार विकास कार्यक्रमों का प्रतिपादन करता है, ने पाया कि २०१६-१७ के सामान्य बजट में उनके विभाग के आवंटन को बढाकर 3827.25 करोड रूपए किया गया है। जो कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 89.25 करोड रूपये ज्यादा है।
बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अल्पसंख्यक मामलात विभाग के लिए 3827.25 करोड रूपए आवंटित किए। जिसमें से 3800 करोड रूपए प्लान-हैड के लिए तथा शेष 27.25 करोड रूपए नान-प्लॉन हैड के लिए रखे गए हैं। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने इसे एक ’’ऊँची छलांग’’ की संज्ञा दी तथा कहा कि उनका मंत्रालय अब अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण की योजनाओं को ज्यादा प्रभावकारी रूप से लागू करने पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा।
हालांकि, पिछले वर्ष के विपरीत, सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि किसी नई योजना की घोषणा नहीं की गई है, जबकि प्रचलित योजनाओं की राशि में या तो कटौती कर दी गई है अथवा उन्हें समाप्त कर कर दिया गया है। इस वर्ष के बजट में अल्पसंख्यकों के लिए एक महत्वपूर्ण घटक अनुपस्थित है, वह यह है कि राज्य वक्फ बोर्ड के सुधार हेतु कोई आवंटन नहीं किया गया है। पिछले वर्ष, इस योजना के लिए बजट में 6.7 करोड रूपए आवंटित किए गए थे। इस वर्ष के बजट में वह वर्ग जो बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, वह विद्यार्थी वर्ग है। वर्ष 2015-16 में प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए 1040 करोड रूपयों का प्रावधान था, जिसमें 109 करोड रूपयों की कटौती करके उसे घटाकर 831 करोड रूपये कर दिया गया है। इसी प्रकार, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना के तहत इस वर्ष 550 करोड रूपए आवंटित किए गए हैं जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 30 करोड रूपए कम है। केवल एक योजना, जिसके लिए बजट प्रावधानों के आवंटनों में पर्याप्त वृद्घि दिखाई देती है, वह है मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप स्कीम। इसके लिए करीब 80 करोड रूपए दिए गए हैं, वहीं पिछले वर्ष इसके लिए 49 करोड रूपये आवंटित किए गए थे। जेटली ने संसद में अपने भाषण के दौरान कहा कि ’’अल्पसंख्यकों के कल्याण एवं कौशल विकास की योजनाएं जैसे बहु क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम तथा यू.एस.टी.ए.ए.डी. प्रभावशाली तरीके से लागू की जाएगी।’’ अपने तीसरे बजट में, वर्तमान एनडीए सरकार ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अम्ब्रैला स्कीम्स को लागू करने के लिए, 1245 करोड रूपये आवंटित किए हैं। जिसमें मल्टी-सैक्टोरल डवलपमेंट प्रोग्राम (एम.एस.डी.पी.) के लिए 1125 करोड रूपए भी इसमें शामिल हैं। इस वर्ष के बजट में इसमें 120 करोड रूपए की कमी की गई है। केन्द्र ने छ: अल्पसंख्यक समुदायों-मुसलमान, बौद्घ, जैन, पारसी, सिख तथा ईसाइयों के शैक्षिणक विकास के लिए 1949 करोड रूपए अलग से रखे हैं। कौशल विकास कार्यक्रमों जैसे सीखो और कमाओ, अपग्रेडिंग स्किल्स एण्ड ट्रेनिंग इन ट्रेडिशनल आर्ट्स/क्रॉफ्ट्स फॉर डवलपमेंट (यू.एस.टी.टी.ए.डी.) तथा ’नई मंजिल’ तथा इन्टीग्रेटेड एजूकेशनल एण्ड लाईवलीहुड इनीशेटिव (एक नई योजना) आदि को लागू करने के लिए जेटली ने 385 करोड रूपए आवंटित किए हैं। हालांकि, केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने बजट पर प्रसन्नता व्यक्त की है तथा कहा है कि मंत्रालय को करीब 100 करोड रूपए अतिरिक्त प्राप्त हुए हैं। नजमा हेपतुल्ला ने कहा ’’मैं सोचती हूँ कि यह एक ऊँची छलांग है। हमने 2015-16 के दौरान करीब 98 प्रतिशत धनराशि का इस्तेमाल कर लिया है। मैं इस एस.एस.डी.पी. कार्यक्रम में सुधार करना चाहती हूँ। मैं इसे ज्यादा व्यापक तथा प्रभावकारी बनाना चाहती हूँ, जिससे कि सही लोगों तक इसके लाभ पहुँच सके।’’
बजट में अल्पसंख्यकों के लिये स्कीम से सौतेला व्यवहार?
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