उदयपुर। राजस्थान में महिलाओं से होने वाले आंकड़ों पर एक नज़र डाली जाय तो शर्म से हर राजस्थानी का सर नीचा हो जाय। राष्ट्रीय अपराध रिकोर्ड ब्यूरो ने हाल ही में 2016 के आंकड़े जारी किये। और ये आंकड़े सच में चोंकाने वाले है। रिकोर्ड के अनुसार साल 2016 में 3656 महिलाओं से दुष्कर्म हुआ जिसमे सबसे चोंकाने वाली बात यह सामने आई कि 555 ऐसे मामले है जिसमे अपनों ने ही रिश्तों को तार तार करते हुए महिलाओं से दुष्कर्म किया। इन अपनों में निकट के रिश्तेदार ही शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक इनमें दादा, पिता, भाई और बेटे तक के नाम शामिल हैं। एक चोकाने वाला पह्लु यह भी है की 18 फीसदी मामलों में बलात्कारी पडोसी रहा।
एनसीआरबी के आकंड़ों के मुताबिक देश में दुष्कर्म के कुल मामलों में राजस्थान का चौथा स्थान है। सबसे ज्यादा मामले मध्यप्रदेश (4882) में दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश में (4816) और महाराष्ट्र में (4189) मामले दर्ज किए है।
घटनाएं हो रही हैं उन्हें मनोविज्ञान में कौटोम्बिक व्यभिचार (इनसेस्ट) कहा जाता है। समाज में ऐसी घटनाओं के बढऩे का मुख्य कारण संस्कारों में कमी आना है और शराब और अन्य नशे की लत है। सामूहिक परिवारों के विघटन के चलते लोगों में नैतिकता की कमी हो रही है। जिसके चलते इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
राजस्थान के पंकज कुमार सिंह एडीजी क्राइम कहते है कि परिवार के सदस्यों द्वारा महिला और बच्चियों के साथ यौन दुराचार के मामले बढ़े हैं। पहले तो ऐसे मामले घर से बाहर ही नहीं निकलते थे, लेकिन अब जागरूकता आई है, पीडि़त थाने पहुंचने लगे हैं। पुलिस भी ऐसे मामलों में संजीदगी से पेश आती है।
राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा का कहना है कि ये हमारे लिए चौंकाने वाला और आंखें खोलने वाला आंकड़ा है। समाज के सभी तबकों में ब’िचयां और महिलाएं घर में भी सुरक्षित नहीं है। पुलिस घर में नहीं हो सकती। हमने इसीलिए घरेलू महिलाओं की काउंसलिंग व्यवस्था शुरू की है। जिसके परिणाम जल्द ही आने लगेंगे।