बारूद से उड़ाई जा रही है पहाडिय़ां!

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कहां से आ रहा है भारी मात्रा में प्रतिबंधित विस्फोटक ?
-अख्तर खान-
उदयपुर। हाईकोर्ट के आदेशों, मास्टर प्लान में शहर के आसपास की पहाडिय़ों को संरक्षित करने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिबंधित विस्फोटकों के जरिये पहाडिय़ों को उड़ाया जा रहा है। निजी कॉलोनाइजर्स और भूमाफियाओं ने सैकड़ों पहाडिय़ों को प्लाटिंग, रिसोर्ट और होटल्स बनाने के लिए समतल कर दिया है। दूसरी तरफ, इनके संरक्षण के लिए प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार वन क्षेत्र और निजी खातेदारी की पहाडिय़ों को सिर्फ विकास के लिए एक निश्चित ऊंचाई तक ही समतल किया जा सकता है।
चारों दिशाओं में समतल हो रही है पहाडिय़ां : पिछले कुछ सालों में जमीनों की दरें आसमान छूने लगी, तो भूमाफियाओं की नजर निजी खातेदारी और गैर खातेदारी की पहाडिय़ों पर पड़ी। चित्रकूटनगर के पास रघुनाथपुरा की कई पहाडिय़ां, ईसवाल हाइवे के आस-पास की पहाडिय़ां, उमरड़ा और नाई के आगे खेड़ा गांव तक पहाडिय़ों में बारूद भरकर उन्हें उड़ाकर समतल कर दिया गया है। इन पर प्लाटिंग काटी जा रही है, रिसोर्ट और होटल्स विकसित किए जा रहे हैं। रघुनाथपुरा में तो इन पहाडिय़ों को समतल करने के लिए पिछले कई दिनों से रोज शाम को ब्लास्ट किए जा रहे हैं। ना तो इन भू-माफियाओं को कोई रोकने वाला है और ना ही इनसे कोई पूछने वाला। हर शाम बारूद से ब्लास्ट करने के बाद दिन-रात जेसीबी और डंपरों से भराव हटाया जा रहा है।
कहां से आता है बारूद ? : इन पहाडिय़ों के लिए निजी कॉलोनाइजर्स भारी मात्रा में प्रतिबंधित विस्फोटक सामग्री ला रहे हैं। इन विस्फोटकों में सैन्य विस्फोटक भी शामिल है, जो बाजार में आ रहा है, यह एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और कार्रवाई नहीं होने के कारण इनका बेखौफ इस्तेमाल किया जा रहा है। पता चला है कि इन पहाड़ों को उड़ाने के लिए डायनामाइट, जिलेटिन की छड़े, बारूद उपयोग में लाए जा रहे हैं। कई विस्फोटक तो ऐसे हैं, जिन्हेें केवल मिलिट्री ही उपयोग में ले सकती है। ऐसे विस्फोटक भी इनके पास आ रहे है, जिसमे मर्करी फल्मिनेट और टीएनटी जैसे घातक तत्व शामिल है।
सुनने को तैयार नहीं यूआईटी सचिव : यूआईटी सचिव को जब यूआईटी के क्षेत्राधिकार में आने वाली रघुनाथपुरा की पहाडिय़ां पर विस्फोट होने की जानकारी दी गई, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ये हमारा मामला नहीं है। यह तो माइनिंग विभाग का मामला है, जबकि पिछले दिनों इन पहाडिय़ों के आसपास कब्जे होने पर यूआईटी ने ही पुलिस बुलाकर वहां से कब्जे हटाए थे।
यह है नियम : हाईकोर्ट के सख्त आदेश हैं कि शहर की पहाडिय़ों का स्वरूप नहीं बिगाड़ा जाए, यदि विकास के लिए आवश्यक है, तो सिर्फ एक निश्चित ऊंचाई तक ही पहाडिय़ों को काटा जा सकता है, जिसमेें भी यह देखना जरूरी है कि इससे पहाडिय़ों का वास्तविक रूप नहीं बिगड़ेगा। झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने बताया कि उदयपुर का सौंदर्य इन पहाडिय़ों की वजह से ही बना हुआ है। यह पहाडिय़ां ही शहर में झीलों को भरने का मुख्य स्रोत है। इनको अगर ढहने से नहीं बचाया गया, तो संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
मास्टर प्लान में भी पहाडिय़ों को किया गया संरक्षित : यूआईटी सचिव पहाडिय़ों को विस्फोटकों से उड़ाने की बात सुनने तक तैयार नहीं है, जबकि यूआईटी द्वारा तैयार मास्टर प्लान 2011-31 में इस बात का मुख्य रूप से ध्यान रखा गया है कि विकास के लिए भी उदयपुर की पहाडिय़ों का वास्तविक रूप नहीं बिगड़े। उदयपुर शहर का धरातल तस्तरीनुमा है, जहां सघन पौधरोपण की जरूरत है, क्योंकि इन्हीं पहाडिय़ों से बरसाती पानी शहर की झीलों को भरने में बहुत हद तक मदद करता है।

प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से खत्म होता जा रहा है झीलों का
लालच : कैचमेंट निजी कॉलोनाइजर और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से निजी खातेदारी तथा गैर खातेदारी की पहाड़ी जमीनों को औने-पौने दामों पर खरीदकर सेना के बारूद से उड़ाया जा रहा है। इससे निजी कॉलोनाइजर्स को वहां पर प्लाटिंग करके लाखों-करोड़ों का लाभ हो रहा है, जिसका एक निश्चित हिस्सा अधिकारियों तक भी पहुुंचाया जा रहा है। इन लोगों के लालच के कारण संरक्षित पहाडिय़ां खत्म होती जा रही है, इतना ही नहीं यह कार्य पर्यावरण के लिए खतरनाक होने के साथ ही झीलों के कैचमेंट को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
लाचारी : हाईकोर्ट के सख्त आदेश है कि शहर की पहाडिय़ों का स्वरूप नहीं बिगाड़ा जाए। यदि विकास के लिए आवश्यक है, तो सिर्फ एक निश्चित ऊंचाई तक ही पहाडिय़ों को काटा जा सकता है, जिसमें भी यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि पहाडिय़ों का मूल स्वरूप नहीं बिगड़े। लेकिन निजी कॉलोनाइजर्स द्वारा दिए जा रहे लालच के कारण अधिकारी भी माननीय हाईकोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं कर रहे हैं और भूमाफिया धड़ल्ले से शहर के आसपास की पहाडिय़ों को विस्फोटकों से उड़ा रहे हैं। अधिकारियों को यह तक परवाह नहीं है कि पहाडिय़ों को उड़ाने के लिए सेना के विस्फोटक को काम में लिया जा रहा है, जो कहां से आ रहा है? इसकी कौन खरीद-फरोख्त कर रहा है? अपने फायदे के लिए अधिकारियों ने इन सवालों पर भी पर्दा डाल दिया है।
॥पहाडिय़ों को विस्फोटकों से हटाया जा रहा है, तो चिंता का विषय है। मैं आज ही इस मामले में दिखवाता हूं और रघुनाथपुरा में भी संबंधित अधिकारियों को भिजवाकर कार्रवाई करवाता हूं।
-आशुतोष पेढणेकर, जिला कलेक्टर
॥बिना परमिशन अगर पहाडिय़ों को विस्फोटकों से ढहाया जा रहा है, तो गलत है। यह अपराध की श्रेणी में आता है। सैन्य और दूसरी तरह का विस्फोटक कहां से आ रहा है। इसकी तुरंत जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
-अजयपाल लांबा, एसपी उदयपुर
॥इस बारे में आप माइनिंग विभाग से जानकारी लो, हमारे अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है। रघुनाथपुरा में अगर कोई विस्फोट कर रहा है, तो उसकी निजी खातेदारी होगी।
-आरएन मेहता, यूआईटी सचिव
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