बांसवाडा, । शहर में बीतों दिनों रिवाल्वर से गोलियां चलने के मामले के पीछे कई छिपे रहस्य अब चर्चाओं में है। हालातों को देखकर साफ लगता है कि विवाद की आड में पुलिस थाना अधिकारी गोपीचंद मीणा को निशाने पर लेने का प्रयास किया गया। पिछले १० माहों को देखा जाए तो उसमें पिछले २ माह में सट्टे के विरूद्घ पुलिस से प्रभावी कार्यवाही करते हुए ४२ मामले दर्ज किये। इसके पूर्व के ८ माह में मात्र १८ मामले ही पुलिस ने दर्ज किये थे। शहर में बढती चोरियों की वारदातें के बाद सीआई गोपीचंद मीणा को बांसवाडा लगाया गया। मीणा ने २ माह के कार्यकाल में ४२ मामले दर्ज किये जिससे सटोरियों में हडकम्प मचा हुआ था ध्यान रहे कि पूर्व में तत्कालिन पुलिस उप अधिक्षक रामसिंह ने भी सटोरिया के खिलाफ तगडी कार्यवाही की थी। उन्होंने विभाग को बकायदा ऐसे लोगों की सूची और स्थान भी अंकित किये थे तब किन्हीं कारणों के चलते दंगा हुआ था और उस दौरान पुलिस उप अधिक्षक को निशाना बनाया गया था। बीते दिनों हुए विवाद की जड में भी यही तथ्य सामने आते है। जब सीआई मीणा भोईवाडा से बाहर निकले और उनके निकलते ही मकरानीवाडा क्षेत्र से एक के बाद एक कर के गोलियां दागी गई। उससे साफ होता है कि सब कुछ नियोजित हुआ। हालांकि पुलिस के आलाधिकारी प्रारम्भिक तौर पर मामले को छेडकानी का करार दे रहे है लेकिन सीआई का निकलना और ठीक उसी समय गोलियों की चलना कई सवाल खडे करता है। पिछले दिनों की गई कार्यवाही की संख्या को देखते हुए साफ होता है कि पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही से सटोरिये आंतकित थे और इन लोगों ने झगडे की आड में सीआई को निशाना बनाने का असफल प्रयाय किया।