राजसमंद. शहर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में इन दिनों अजीब सी दहशत छायी हुई है। तीन दिन की छुट्टी के बाद मंगलवार को स्कूल खुला तो 122 में से 35 बच्चे ही पढ़ने आए। बच्चे ही नहीं अभिभावक और स्टाफ भी दहशत में है। यह सब हुआ है कि एक अफवाह से।
वहम: स्कूल के पीछे कुछ दिखा था
परिजनों के मुताबिक 15 अगस्त को पिंकी लघुशंका के लिए स्कूल के पीछे गई थी। दावा किया कि उसने कुत्ते को भैंस बनते देखा था। इसके बाद वो चिल्लाते हुए स्कूल से भाग आई थी। अगले दिन पिंकी व आंगनवाड़ी केंद्र में पढऩे वाली उसकी छोटी बहन खुशी बीमार रहने लगी। पिंकी कभी चिल्लाती तो कभी शरीर या बिस्तर पर काटती थी। परिजनों का कहना था कि पिंकी इतनी डरी हुई थी कि उसने आंखें खोलना ही बंद कर दिया था। वह डर के मारे केवल चिल्लाती थी। यही स्थिति उसकी छोटी बहन की भी है।
इसी स्कूल के पूर्व विद्यार्थी मित्र भगवतसिंह राठौड़ का कहना है कि वर्ष 2009 में मंजू सालवी नाम की छात्रा प्रार्थना सभा में खड़ी-खड़ी चिल्लाने लगी थी। वर्ष 2014 में सीमा नाम की छात्रा अजीब सी हरकतें करनी लगी थी। दोनों कई दिन बीमार रही। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल के पास दो श्मशान हैं। छात्रा जीतू कंवर ने कहा कि अब स्कूल जाने से डर लगता है। छात्र राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वो स्कूल नहीं जा रहा है। छात्रा सीता कुंवर ने कहा कि माता-पिता ने ही उसे स्कूल जाने से मना किया है।
प्रियंका और उसकी छोटी बहन खुशी को जब आरके अस्पताल लाया गया तब दोनों को बुखार, पेट दर्द व उल्टी दस्त की शिकायत थी। प्रियंका की हालत ज्यादा गंभीर थी। वो चिल्ला रही थी। इलाज के बाद उल्टी दस्त ठीक हो गई, लेकिन मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। अज्ञात डर की वजह से मानसिक संतुलन बिगडऩे के कारण उसकी यह हालत हो रही थी। परिजन जादू टोना पर ज्यादा विश्वास कर रहे थे। तीसरे दिन प्रियंका को वापस घर ले गए थे। सभी जांचें करवाते, पूरा इलाज लेते तो शायद पिंकी की जान बच सकती थी।
-कांतिलाल यादव, कार्यवाहक, प्रधानाध्यापक
-युगल बिहारी दाधीच, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक
गांव में अंधविश्वास की जानकारी मिली है। इसको लेकर ग्रामीणों के साथ बैठकर चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-भैरूलाल जोशी, सरपंच, सांगठकला ग्राम पंचायत