कामड़ जाति के कलाकार आज करेंगे कला प्रदर्शन
उदयपुर, यहां हवाला गांव के शिल्पग्राम में गुरूवार शाम लोक गायन की सुरीली महक तथा तेराताल नृत्य की खनक ने पर्यटकों व कला प्रेमियों को मंत्राभिभूत कर दिया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित पांच दिवसीय ‘‘तेराताल नृत्य कार्यशाला’’ के अंतर्गत गुरूवार को शिल्पग्राम की चौपाल पर लोक गायन की महक तथा लोक नर्तन की अनुपम छटा देखने को मिली। कार्यशाला में प्रशिक्षित कामड़ जाति के कलाकारों ने अपने गुरूओं के सानिध्य में अपनी प्रतिभा व कौशल के साथ अपनी परंपराओं का प्रदर्शन अनूठे अंदाज में किया। शाम की रोशनी में आयोजित इस संध्या में सबसे पहले मीा बाई के भजन ‘‘बागां री शणगार कोयलिया पर मंडली मत जाणा….’’ भजन से हुई। इसके बाद रूपा दे के भजन ‘‘जावा में को नी नुगरो मालदे’’ पर सुमित्रा कामड़ व सखियों ने अपने कंठ का माध्ुर्य बिखेरा। इसके बाद मेहेशाराम के नेतृत्व में हरजी भाटी द्वारा रचित बाबा रामदेव की उपासना ‘‘बाबा रमदेव’’ प्रस्तुत किया गया जिसमें लयकारी के साथ चौतारे, मंजीरे व गायन के माधुर्य का अनॅठा संगम था। कार्यक्रम का चौथा भजन रामनारायण की रचना ‘‘सतगुरू आंगण आया में वारी जाऊं…’ की प्रस्तुति सुरीली व मन को छू लेने वाली रही।
इसके पश्चात बालिकाओं ने प्रसिद्ध गीत ‘‘म्हारो हेलो सुणो हो रामा पीर ..’’ पर भजन प्रस्तुत किया जिसमें बालिकाओं की भंगिमाएँ तथा आपसी तारतम्य उत्कृष्ट बन सका। बालिकाओं ने सिर पर गंगाजली रख कर तथा तलवाल मुंह में रख कर अपने नर्त से सैलानियों पर अपने नर्तन का जादू सा कर दिया।