उदयपुर। होली का त्योहार करीब आने के साथ ही बाजारों में रंग और गुलाल के ठेले सजे नजर आने लगे हंै, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व अन्य रोक के बावजूद इन ठेलों पर केमिकलयुक्त रंग धड़ल्ले से मिल रहे हैं। लोग भी सस्ती गुलाल लेने के चक्कर में स्वयं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हंै। रंग व गुलाल में केमिकल का मिश्रण रहने से त्वचा खराब होने का अंदेशा रहता है।
उपलब्ध है हर्बल कलर
बाजार में कई दुकानों पर केमिकल युक्त और हर्बल गुलाल उपलब्ध हैं। ठेलों पर बिकने वाले सस्ते हानिकारक गुलाल से थोड़ा महंगा जरूर है, लेकिन इससे त्वचा पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता। दुकानदारों के अनुसार बढिय़ा गुलाल 100 से 150 रुपए किलो मिल रही है। यही सस्ता केमिकलयुक्त गुलाल 25 से 50 रुपए किलो मिल रहा है।
केमिकलयुक्त रंग मिल रहा है सरेआम
केमिकलयुक्त कलर सूरजपोल, देहलीगेट पर पुलिस कंट्रोल रूम पुलिस चौकी के सामने सरेआम धड़ल्ले से बिक रहा है, लेकिन इन पर कोई कारवाई करने वाला नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने अभी इन पर कारवाई करने की कोई रणनीति नहीं बनाई है।
क्या असर पड़ता है
केमिकलयुक्त रंग त्वचा से नहीं हटता और त्वचा खराब होने लग जाती है। गुलाल उड़ाते ही छींक आना शुरू हो जाती है, आंखों में अगर रंग चला जाए, तो रोशनी तक जा सकती है। युवाओं की टोली होली के हुडदंग में मुंह में अगर डाल दे, तो पेट में भी केमिकल जाने से बीमारियां हो सकती हैं।
होली के लिए प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए। केमिकल युक्त रंग से त्वचा और आंखों पर विपरीत असर पड़ता है। कई बार केमिकल के रिएक्शन से त्वचा की बीमारी कई समय तक नहीं जाती। अगर कभी केमिकल रंग लग भी जाए, तो उसी वक्त धोकर त्वचा पर नारियल तेल या क्रीम लगा लेनी चाहिए।
-सौरभ वाजपेयी, चर्म रोग विशेषज्ञ
होली पर केमिकल रंगों से सावधान
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