उदयपुर, स्वाइन फ्लु को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मुस्तैद है। स्वाइन फ्लु को पूरी तरह से काबू करने तथा इस वजह से संभावित जनहानि को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब टेमीफ्लु (ओजाल्टामिविर) का प्रयोग प्राथमिक स्तर पर ही शुरू कर दिया गया है।
उदयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव टाक ने बताया कि प्रदेश में स्वाइन फ्लु से मृत्यु के अधिकांश मामलों में अधिकतर मरीज तब तक रोग को गंभीरता से नहीं लेता जब तक उसकी जांच रिपोर्ट में स्वाइन फ्लु की पुष्टि न हो जाए और इस दौरान देरी ही घातक साबित होती है। इसलिए अब नए दिशा निर्देश जारी कर शुरूआती अवस्था में ही टेमी फ्लु देने की नीति अमल में लाई जा रही है।
डॉ टाक ने बताया कि जिन रोगियों को तेज बुखार खाँसी, गले में दर्द व नाक बहने की शिकायत होगी, अब उन्हें तत्काल टेमी से उपचार प्रारंभ कर दिया जाएगा। डॉ टाक ने कहा कि किसी भी प्रकार की संक्रमण से फैलने वाली बीमारी से बचने के लिए ऎहतियाती उपायों को अमल में लाना सामूहिक जिम्मेदारी है। जिसे स्वास्थ्य विभाग सहित आम जनता को अत्यंत गंभीरता से निभाने की आवश्यकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिले में स्वाइन को फैलने से रोकने हेतु स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट है निःशुल्क जांच उपचार व दवा की व्यवस्था की गई है। डा टाक ने जानकारी देते हुए बताया कि खांसते हुए व छींकते समय हवा द्वारा आसानी से फैलने वाले इन्फुलजा एच1एन1वायरस को जिले में पाँव पसारने से रोकने के लिए 17 रेपिड रेसपोन्स टीम बनाई गई है। जो सर्दी-जुकाम के मरीजों की पहचान करने के साथ साथ आमजन को स्वाइन फ्लु से बचाव की जानकारी दे रही है।
हाई रिस्क मरीज
पांच वर्ष से छोटे बच्चे 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, कैंसर द्वितीय स्टेज के मरीजों, किडनी फेलियर, हेपेटिक फेलियर, टीबी, मधुमेह व अस्थमा के मरीजों को हाई रिस्क में मानते हुए प्रारंभिक लक्षणों पर ही टेमी फ्लू से उपचार करने के निर्देश दिए गए हैं।
ये सावधानी रखें
डॉ संजीव टाक ने बताया कि स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में जाने से बचें, खाँसते व छींकते समय नाक पर रूमाल रखें। किसी भी खाँसी जुकाम के रोगी से कम से कम पांच फीट की दूरी रखें। बार-बार साबुन से हाथ धोएं, भरपूर नींद लें तथा खूब पानी पिएं।