उदयपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने उदयपुर में बजरी खनन बंद करने के आदेश दिए या नहीं लेकिन बजरी के दामों में एक दिन में ही दुगुना उछाल आगया। बजरी खनन माफिया की एक ही दिन में बल्ले बल्ले हो गयी। दुगुने दाम में बजरी खुले आम धडल्ले से बिकती रही और जिम्मेदार अधिकारी कागजों में खनन को बंद करवाने के आदेश निकालते रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण की मंजूरी के चलते बजरी खनन पर रोक लगा दी है उदयपुर में आने वाली बजरी पर भी कहने को कथित तौर पर रोक लग गयी लेकिन असल में बजरी बड़ी आसानी से मिल रही है। बस फर्क आया है तो यह कि कल तक जो बजरी ५०० से ६०० रूपये टन मिल रही थी आज वही बजरी १००० से १२०० रूपये में बिकी, बजरी माफियाओं की एक ही रात में बल्ले बल्ले हो गयी। जिनके निर्माण कार्य चल रहे है वे प्रताप नगर सुखेर रेती स्टेण्ड चक्कर काटते रहे।
उदयपुर में सुमेरपुर, बस्सी, भीलवाडा,नाथद्वारा, राजसमन्द, सरदार गढ़ से रेती आरही है जो 500 से 600 रूपये टन में बिक रही थी। आज यही रेती दुगुने दामों में बिकी। यही नहीं सूत्रों की माने तो कई रेती माफिया ने अपने खाली पड़े प्लाट और खेतों में रेती का स्टोक कर लिया है। आने वाले दिनों में जब अधिकारी सख्ती करदेंगे तब यह रेती मनमाने दामों में बिकेगी। जिन लोगों के मकानों के निर्माण कार्य अधूरे है उनके लिए मुसीबत हो गयी है। रेती माफिया पर प्रशासन की कोई लगाम नहीं। चाहे प्रशासनिक अधिकारी हो खान विभाग हो या आरटीओ ये सिर्फ चंद दिन मोनिटरिंग करते है उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के दम पर ये माफिया मूंह मांगी कीमत वसूलते है।
निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों का कहना है कि रेती अब भी उसी तरह और उसी तादाद में आएगी जैसे पहले आती थी फर्क इतना है कि कीमतें दुगुनी हो जाएगी। इधर जो सरकारी कार्य कर रहे है उन ठेकेदारों का कहना है कि उदयपुर में आने वाली रेती कही भी ईएसआई नहीं जहाँ से पर्यावरण मंजूरी ले राखी हो इसे में सरकारी कार्य सारे रुक जायेगें। क्यूँ की इतनी महगी रेती लेकर सरकारी कार्य नहीं किये जा सकते।
रेती ट्रक चालक यूनियन के अध्यक्ष अन्तोश का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रेती की खरीद फरोख्त में काला बाजारी बढ़ जाएगी। अगले दो दिन बाद चाहिए जितनी रेती मिलेगी लेकिन उसके दाम दो से तीन गुने होंगे।