उदयपुर। दुनिया की सबसे खूबसूरत वेडिंग डेस्टिनेषन पर इन दिनों हाई प्रोफाईल शादी का आयोजन किया जा रहा है और उसमे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाने में कानून के रखवाले अपनी महत्ती भुमिका निभा रहे हैं। जीहां हम बात कर रहे है द वेनिस आॅफ इस्ट हमारे ही शहर उदयपुर की। जहां पर नेपाल के सबसे धनाढय शख्स के छोटे बेटे की शादी होने जा रही है। इस शादी में दूनियाभर के रसूखदारों का जमावड़ा लगा हुआ है। लेकिन ये सब मिलकर देश के उच्चतम न्यायालय के सख्त आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। गौरतलब है इस तरह की शाही शादियों में अल सुबह तक लाउड स्पीकर बजाए जाते है और आसपास रहने वाले हजारों लोगों को रात भर राजमहल के पास रहने की सजा भुगतनी पड़ती है। कोई इन्हे रोक नहीं सकता। न ही खाकी, न ही खादी। क्योंकि वह भी तो इन शादियों में आने वाले अति महत्वपूर्ण मेहमानों की आवभगत में लगी रहती है। क्या इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट का आदेष नहीं दिखाई देता, क्या उन नियमों की पालना करने का इनका कर्तव्य नहीं है। हम आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने रात 10 बजकर 30 मिनट के बाद लाउड स्पीकर नहीं बजाने का आदेष दे रखा है। जिसकी पालना करवाना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है, लेकिन लेकसिटी का प्रशासन तो खुद मेहमानों की तिमारदारी में लगा है। संभागीय आयुक्त से लेकर विवाह स्थल को कांस्टेबल तक इस शाही शादी में किसी भी परेशानी का होने का जिम्मेदार रहेगा। क्योंकि इस शादी में श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी आए हुए है जो देश के भी मेहमान है। ऐसे में यह प्रशासनिक अधिकारी कैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेषों की पालना कर सकते है। यह अलग बात है कि शहर की जनता के लिए यह आदेश यथावत है । 10 बजकर 30 मिनट के बाद अगर किसी ने भी लाउड स्पीकर बजाया तो खैर नहीं हैं। तुरन्त खाकीवर्दी धारी दलबल के साथ आपके यहां पंहुच जाएंगे और साउण्ड बंद कराकर ही दम लेंगे। अगर किसी ने थोड़ी देर और चलने देने की बात भी कही तो साउण्ड भी जब्त करके थाने ले जाएंगे। देखिए गुरूवार की रात राजमहलों के आसपास रहने वाले लोगों को किस तरह की परेषानी का सामना करना पड़ा। यह विडियों रात 12 बजे से 2 बजे के बीच के हैं जो उदयपुर न्यूज के जागरूक दर्षक ने प्रषासन की आंखें खोलने के लिए भेजे है।
राजमहल में आयोजित की जा रही नेपाल के सबसे अमीर आदमी के बेटे की षादी से आसपास रहने वाले लोग कितने परेशां है। इससे तो यह साफ होता है कि कानून सिर्फ आम लोगों के लिए ही बनाए जाते है खास लोग तो कानून के साथ खेलने या उसका मजाक उड़ाने के लिए ही बने हैं। खैर यह सिलसिला तो आगे भी चलता रहेगा क्योंकि महाराणा प्रताप की धरती के लोगों ने इसी माहौल में जीना सीख लिया है। जनता कमजोर हो चुकी है। यहां की खाकी और खादी लोगों को अपने इषारों पर नचाने में महारथी हो गई है। आइए एक बार और षहरवासियों की बेबसी को देख लेते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश सिर्फ आम जनता के लिए, रसूखदारों के लिए नहीं ?
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