उदयपुर। उदयपुर के राहत हास्पीटल में नवजात के साथ हुए लापरवाही के मामलें में सोमवार को एक तरफ जहां सैंकडों युवाओं ने जिला कलेक्ट्री के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया वहीं दूसरी तरफ नौ दिन की बच्ची वेंटिलेटर पर अपनी अंतिम सांसों को गिनती रही। आक्रोषित युवा छात्रों ने राहत हॉस्पीटल का लाइसेंस रद्द कर नवजात के परिजनों को 50 लाख रूपयें का मुआवजा देने की मांग की है।
सोमवार को राहत अस्पताल की लापरवाही से मौत की साँसे गिन रही नवजात बच्ची के पक्ष में कई युवाओं के साथ – साथ सामाजिक संगठन भी आ गये और परिजनों को न्याय दिलाने की मांग कर जिला कलेक्ट्री पर जमकर प्रदर्शन किया। गुस्साए युवाओं ने जिला कलेक्ट्री के बाहर डाक्टरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। बाद में एक प्रतिनिधि मण्डल जिला कलेक्टर से मिला और साफ किया कि चिकित्सकों की घोर लापरवाही के बाद भी हजारों रूपये ऐंठ लिये गये थे वहीं नवजात कन्या के पैर में भी इन्फेक्शन होने से उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई है। ऐसे में सभी ने मांग की है कि नवजात कन्या के परिजनों को पूर्ण रूप से उचित न्याय मिलना चाहिए।
गौरतलब है कि शनिवार को राहत हॉस्पीटल में नवजात कन्या के इलाज के दौरान चिकित्सकों की लापरवाही के चलते उसके पैर में इन्फेक्शन हो गया था और इसके बाद परिजनों ने जब हास्पीटल में हंगामा किया तो दोनो पक्षों की ओर से पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाये गए। ऐसे में
इस पूरे मामले में सरकारी चिकित्सक लाखन पोसवाल की भुमिका भी संदिग्ध मानी जा रही हैं। हालाकि नामचीन पोसवाल ने राहत हास्पिटल में अपनी भागीदारी या किसी भी प्रकार का जुड़ाव होने से साफ मना कर दिया है, लेकिन उन तक पहुचने वाले हर बच्चे का परिजन यह जानता है कि वह दिन में ज्यादातर समय इसी हाॅस्पिटल में रहते है और सरकारी अस्पताल से भी कई पीड़ित बच्चों को यह पर ही रैफर किया जाता है। दूसरी ओर सबसे ज्यादा आष्चर्य की बात तो यह हैकि जब परिजनों ने लाखन पोसवाल की इसी अस्पताल में उपस्थिति का दावा किया तो अचानक ही हाॅस्पिटल में लगे हुए सीसीटीवी कैमरे खराब हो गए और पुलिस ने भी इस बात में संतुष्ठी जता दी। अभी जांच चल रही है राहत अस्पताल दोषी है या नहीं यह बात भी जांच के बाद ही पता चल पायी है।
नवजात का दर्द देख छात्रों ने जिला कलेक्ट्री पर किया प्रदर्शन – राहत हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द करने की मांग।
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