उदयपुर पोस्ट। बंगाली श्रमिक की जला कर ह्त्या करने वाले हत्यारे शम्भूनाथ द्वारा जेल से वीडियो वायरल करने के मामले में अधिकारी और सरकार का गृह विभाग एक तरह का मजाक कर रहा है। जिन पहलुओं पर जांच की जानी चाहिए उन पर जांच नहीं कर सिर्फ इस पर ध्यान केन्द्रित कर रहे है कि हत्यारे शम्भू ने जिस कैदी वासुदेव पर मुस्लिम होने के आरोप लगाए है वह मुस्लिम है या नहीं।
सभी बड़े बड़े जेल अधिकारी और राजस्द्थान के काबिल डॉक्टर वासुदेव की पतलून में झाँक रहे है और जहां कर जांच करने के बावजूद पता नहीं चल रहा है कि वासुदेव ने खतना करवाई है या नहीं।
ताज्जुब की बात है कि बड़े बड़े अधिकारी और डॉक्टर वासुदेव का प्राइवेट पार्ट चेक कर अंदाजा लगा रहे है कि उसकी खतना की हुई है या नहीं जिससे पता लगे वह मुस्लिम या हिन्दू है। एसा लग रहा है मानों वासुदेव दुनिया में निराला प्राणी है जिसका कोई आगा पीछा रिकोर्ड नहीं कोई घर बार नहीं जिससे कि यह पता लगाया जा सके वह हिन्दू है। बस सिर्फ एक ही रास्ता बचा है वह है उसका प्राइवेट पार्ट देख कर बताया जा सके कि वह हिन्दू है या मुस्लिम। उससे भी आश्चर्य जनक और हास्यास्पद बात तब लगती है जब अधिकारी और डाक्टर्स मिल कर यह तय नहीं कर पा रहे है कि उसने खतना की है या नहीं।
एक हत्यारा जिसने देश में साम्प्रदायिक सोहार्द बिगाड़ने की नियत से एक मुस्लिम बंगाली श्रमिक की हत्या की और ह्त्या का लाइव वीडियो बना कर वायरल किया। बाद में वह जेल जाने के बाद भी वह जेल से वीडियो बनाता है जिसमे वह सिर्फ भड़काऊ बातें ही बोलता है। वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि वह जो भी बोल रहा है वह एक कागज़ पर लिखा हुआ है और उसकी मानसिक विकसितता से साफ़ पता चलता है कि उसको यह सब लिख कर देने वाला कोई और ही है। उसको जेल में मोबाइल फोन वह भी हेड फोन के साथ देने वाला कोई और है। इसके बावजूद पूरा प्रशासनिक और पुलिस अमला सिर्फ यह जांच करने में जुटा है कि उसने जिस वासुदेव नामक कैदी पर मुस्लिम होने का आरोप लगाया है वह भी उसका प्राइवेट पार्ट देख कर वह हिन्दू है या मुस्लिम।
इस बात को जानते बुझते गोल किया जारहा है कि शम्भू जैसे हत्यारे को हीरो बनाने वाले और नफरत फैला कर दंगा करवाने वाले लोग आखिर कोन है जिसने हत्यारे शम्भू को हाई सिक्युरिटी जेल के अन्दर मोबाइल फोन उपलब्ध करवाया।
जेल के अधिकारियों के अनुसार राजस्थान की सभी सेन्ट्रल जेल में जैमर लगे हुए है जिससे कि किसी भी मोबाइल से कोई सा भी नेटवर्क नहीं मिल सकता। तो फिर क्या जैमर की तकनीक खराब हो गयी, जैमर लगाने के २० करोड़ रूपये क्या व्यर्थ हो गए और अगर एसा नहीं है तो फिर बाहर आकर शम्भू का विडियो केसे और किसने वायरल किया। इन सारे सवालों के जावाब कोई अधिकारी नहीं दे रहा या इन सब सवालों के जवाब जानते हुए भी बताया नहीं जा रहा।
चाहे कुछ भी अभी तो साफ़ तौर पर दिख रहा है कि जेल अधिकारी और सरकार का गृह विभाग बजाय सही जांच करने के वासुदेव की पतलून में झाँक रहा है।
सरकार वासुदेव की पतलून में झांकना बंद करो और शम्भू जैसे हत्यारे के पीछे कौन लोग है जो नफरत फैला रहे है उनकी जांच करो।
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