सौहराबुद्दीन व तुलसी एनकांटर मामला
कांस्टेबल करतार व युद्घवीर को भी जमानत
उदयपुर। बहुचर्चित सौहराबुद्दीन एवं तुलसी प्रजापति एनकाउंटर मामले में निरीक्षक व दो कांस्टेबलों को मुम्बई हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया है। कल तक सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद वे नवी मुम्बई की तलोजा जेल से रिहा होंगे।
उल्लेखनीय है कि उदयपुर में ३१ दिसम्बर २००४ को हाथीपोल चौराहे पर दिनदहाडे हमीदलाला की गोली मारकर हत्या करने में सौहराबुद्दीन व तुलसी प्रजापति का नाम आया था। इसके बाद सौहराबुद्दीन गुजरात में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया और इसके एक वर्ष बाद तुलसी प्रजापति भी एनकाउंटर में मारा गया। सौहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन ने फर्जी एनकाउंटर बताते हुए मामला दर्ज कराया था जिसकी जांच सीबीआई द्वारा की गई। जिसमें गुजरात व उदयपुर के पुलिस अधिकारी व जवान गिरफ्तार हुए। सौहराबुद्दीन का एनकाउंटर वर्ष २००५ में हुआ था। इस मामले में उदयपुर से गिरफ्तार अन्तिम अधिकारी पुलिस निरीक्षक अब्दुल रहमान को मुम्बई हाईकोर्ट ने बिना शर्त जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया है। रहमान साढे सात साल से न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे है। इस मामले में उदयपुर से तत्कालिक पुलिस अधीक्षक दिनेश एमएन, सब इंस्पेक्टर हिमांशु व श्याम सिंह को पहले ही जमानत दी जा चुकी है। रहमान की गिरफ्तारी २४ मई २००७ को हुई थी। यह पहले गुजरात के साबरमती जेल में बंद थे। उसके बाद मामला मुम्बई हाईकोर्ट में चले जाने से नवी मुम्बई तलोजा मध्यवर्गीय कारागृह में रखा हुआ है। उधर तुलसी प्रजापति एनकाउंटर में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे कांस्टेबल करतार सिंह व दलपतसिंह की भी मुम्बई हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है। इस मामले में अभी उदयपुर से एएसआई नारायणसिंह व हेड कांस्टेबल युद्घवीरसिंह न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे है।
उल्लेखनीय है कि सौहराबुद्दीन व तुलसी प्रजापति एनकाउंटर मामले पहले पृथक रूप से विचाराधीन थे लेकिन दोनों ही प्रकरणों में समानता होने के कारण एक कर दिया है और दोनों मामलो की सुनवाई मुम्बई हाईकोर्ट में चल रही है। अभी भी उदयपुर के दो और गुजरात के कई अधिकारी न्यायिक अभिरक्षा में है।
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में सीआई अब्दुल रहमान को साढे सात साल बाद मिली जमानत
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