सोहराबुद्दिन-तुलसी एनकाउंटर केस : सीबीआई ने जबरन करवाया चार्ज फ्रेम, बहुत सी एप्लीकेशन हैं पेंडिंग

Date:

न्यूज़ पोस्ट . सोहराबुद्दिन-तुलसी एनकाउंटर केस में मंगलवार को मुम्बई सेशन कोर्ट में रूटीन डेट पर ही सीबीआई ने जबरन ड्राफ्ट चार्ज देकर चार्ज फ्रेम की प्रक्रिया शुरू करवा दी। जबकि इस तारीख पर मामले में आरोपी बनाए गए कुछ अधीनस्थ पुलिस कर्मी मौजूद भी नही थे तथा कुछ अधीनस्थ पुलिस कर्मियों की हाई कोर्ट और ट्रॉयल कोर्ट में याचिकाएं पेंडिंग चल रही है। अधीनस्थ पुलिस कर्मियों के विरोध करने के बावजूद सीबीआई ने उनकी एक नही सुनी गई , चार्ज फ्रेम करवा दिया।
मंगलवार कोसोहराबुद्दिन-तुलसी एनकाउंटर केस में मुम्बई सेशन कोर्ट में तारीख थी। आरोपी बनाए गए कुछ अधीनस्थ पुलिस कर्मियों को छोड़कर बाकी सभी अधीनस्थ पुलिस कर्मी और अन्य आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। तभी अचानक से सीबीआई ने डरा-धमका कर मामले में बरी हो चुके रसूखदार बीजेपी नेता औऱ आईपीएस अधिकारियों के दबाव में कुछ पुलिस कर्मियों को जबरन ड्राफ्ट चार्ज पकड़ा दिया और कोर्ट को यह कह दिया कि ड्राफ्ट चार्ज सभी अभियुक्तों को दे दिया है और सभी ने स्वीकार कर लिए हैं ऐसे में चार्ज फ्रेम की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। इस पर
कोर्ट में मौजूद कुछ अधिनस्थ पुलिस कर्मी जिनकी डिस्चार्ज एप्लीकेशन हाई कोर्ट में पेंडिंग हैं, उन्होंने चार्ज फ्रेम का विरोध किया और कोर्ट से प्रार्थना की कि उनके एप्लीकेशन हाई कोर्ट में पेंडिंग है इस पर कोर्ट ने उन्हें चार्ज फ्रेम की कार्रवाई से अलग रखकर बाकि आरोपी अधीनस्थ पुलिस कर्मियों के चार्ज फ्रेम कर दिए।

बिना चार्जशीट की कॉपी दिए कर दिए चार्ज फ्रेम, ट्रायल कोर्ट में याचिका लंबित
मामले में आरोपी बनाए कई अधीनस्थ पुलिस कर्मियों की ट्रायल कोर्ट में ही याचिका पेंडिंग चल रही है। अधीनस्थ पुलिस कर्मियों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में ट्रायल कोर्ट में याचिका लगाकर निवेदन किया था कि मामले की सी आई डी द्वारा पेश की गई 2 मुख्य चार्जशीट सहित कुल 5 चार्जशीट गुजराती भाषा मे है। इसकी अंग्रेजी/मराठी भाषा मे अनुवादित कॉपी उन्हें उपलब्ध करवाई जाए। ये सभी याचिकाएं लंबित होने के बावजूद आरोपी बनाए गए पुलिसकर्मियों को चार्जशीट की कॉपी दिए बगैर ही चार्ज फ्रेम कर दिए गए। इसके अलावा तत्कालीन इस्पेक्टर बाल कृष्ण चौबे और आईपीएस विपुल अग्रवाल की डिस्चार्ज एप्लीकेशन तो ट्रायल कोर्ट में ही पेंडिंग है।

वकील तक नहीं हैं -इन अधिनस्थ पुलिस कर्मियों के पास
कोर्ट में जिन अधिनस्थ पुलिस कर्मियों पर चार्ज फ्रेम किया गया उनके इतनी स्थिति भी नही है कि वे मुम्बई जैसे मंहगे शहर में रहकर एक वकील खड़ा कर ट्रायल कार्रवाई का सामना कर सकें। अधिकतर पुलिस कर्मियों के पास वकील भी नही है। सीबीआई ने डरा धमका कर रसूखदार नेता अफसरों के दबाव में चार्ज फ्रेम तो करवा दिए लेकिन बिना वकील के इस केस में ट्रायल लड़ना अधीनस्थ पुलिस कर्मियों के साथ नैसर्गिक न्याय के विपरीत होगा।

चार्ज शीट में नाम नही फिर भी हो गया चार्ज फ्रेम-
आकाओं को नुकसान न पहुँचे इसलिए सीबीआई ने उन दो कांस्टेबलो के भी चार्ज फ्रेम करवा दिए जिनक सीबीआईे चार्जशीट में नाम तक नही थे। मामले में बरी हो चुके आईपीएस राजकुमार पांड्यन के गनमैन संतराम और असिस्टेन्ट कांस्टेबल अजय परमार को सीबीआई ने चार्जशीट में आरोपी नही माना था और चार्जशीट में उनके खिलाफ कोई चार्ज नही थे। लेकिन बरी हो चुके आकाओं को बचाने उनके दबाव में सीबीआई ने मंगलवार को हांथो हाँथ दोनों कांस्टेबलों को चार्जशीट के कुछ सेलेक्टेड डाक्यूमेंट्स दिए औऱ चार्ज फ्रेम करवा दिए। दोनों ने कोर्ट से प्रार्थना भी की कि उन्हें केस में सीबीआई ने चार्जशीट में आरोपित तक नही माना है। उन्हें ये तक नही पता है कि चार्जशीट में क्या क्या है। हाई कोर्ट में अभी अवकाश चल रहा है। उन्हें हाई कोर्ट जाने की मोहलत दी जाए।

इन्हें किया ट्रायल कार्रवाई से अलग
हाई कोर्ट में इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान, एसआई हिमांशु सिंह, श्याम सिंह, डीएसपी आरके पटेल सहित बरी हो चुके आईपीएस डीजी बंजारा, राज कुमार पांड्यन और दिनेश एमएन, डीएसपी नरेंद्र अमीन की डिस्चार्ज एप्लीकेशन पेंडिंग चल रही है। अभी मामले में बरी नहीं हुए इन पुलिस कर्मियों ने कोर्ट से निवेदन किया कि उनकी एप्लीकेशन पेंडिंग है। फिर भी चार्ज फ्रेम होता है तो हाई कोर्ट में पेंडिंग याचिका के कोई मायने नही राह जाएंगे लेकिन हाई कोर्ट से स्टे नही होने के कारण केवल विपुल अग्रवाल, आशीष पंडिया ,अब्दुल रहमान, बालकृष्ण चौबे की विभिन्न याचिका ट्रॉयल कोर्ट में लंबित होने एवं राजू जीरावला के अनुपस्थिति होने से इन्हें छोड़कर बाकी सभी आरोपीयो के विरूद्ध चार्ज फ्रेम कर दिए।
: जारी हुए गैर जमानती वारंट
आरोपी राजू जीरा वाला और आशीष पांड्यन आज कोर्ट में हाजिर नही हो सके तो इनके वकीलों ने हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया
इस पर कोर्ट ने प्रार्थना पत्र नामंजूर कर इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।

12 साल से पेंडिंग, रासुखदारो के बरी होते ही हुए चार्ज फ्रेम
इस मामले में जब तक रसुखदार बीजेपी नेता और आईपीएस अफसर आरोपी थे तो 12 साल से किसी को चार्ज फ्रेम की याद नही आई। सीबीआई चार्जशीट
में सीबीआई ने तत्कालीन गुजरात के गृह राज्य मंत्री बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया, मार्बल व्यवसायी विमल पाटनी, गुजरात के तत्कालीन डीजीपी डीसी पांडे, वर्तमान डीजीपी गीता जौहरी, आंध्रा के आईजी सुब्रमण्यम, गुजरात के आईपीएस राजकुमार पंड्यन, ओपी माथुर, चूडाश्मा, राजस्थान आईपीएस दिनेश एमएन, गुजरात डीवायएसपी नरेन्द्र अमीन, अमित शाह की को-ऑपरेटिव बैंक के बिजनेस पार्टनर दो अन्य व्यवसायी अजय पटेल, यशपाल को मुख्य आरोपी और षड्यंत्र कारी माना था। अब जब ये सभी रसूखात आरोपी बरी हो गए है। इनके बरी होने से केस में अब न तो मोटिव बचा है और न ही षड्यंत्र।
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि पारिस्थितिक जन्य साक्ष्यों पर बने केस में मोटिव का होना आवश्यक है। इसके बावजूद सीबीआई ने अपने रसूखदार नेताओ और अफसरों को बचाने के लिए चार्ज फ्रेम करवा दिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

نظرة متعمقة في تأثير الهكر على نزاهة لعبة الكراش في 1xbet

نظرة متعمقة في تأثير الهكر على نزاهة لعبة الكراش...

Cómo detectar casinos online seguros sobre De cualquier parte del mundo sobre plena era online

Cual igualmente las licencias sobre la DGOJ las websites...

Должностной журнал Pinco casino для забавы нате объективные деньги

Безо регистрации а также безо депо танцевать в игровые...