उदयपुर। कला एवं शिल्प परंपरा के प्रोत्साहन हेतु उदयपुर के शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव में सोमवार को हाट बाजार में कलात्मक वस्तुओं की खरीद-फरोख्त का सिलसिला शुरू हुआ वहीं लोग शिल्प उत्पादों को ले कर पूछ-परछ व दामों के बारे में जानकारी ले रहे हैं।
‘‘कलांगन’’ पर ब्रोजाई व घसियारी ने रंग जमाया, ताल-तरंग में गूंजे कोंकणी वाद्य
शिल्पग्राम उत्सव-2013 के तीसरे दिन शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर लोक प्रस्तुतियों ने अरूणाचल प्रदेश का ब्रा-जाई व उत्तराखण्ड का घसियारी नृत्य लुभावनी प्रस्तुति रही वहीं ‘‘ताल-तरंग’’ गोवा के वाद्य यंत्रों की टंकार अरावली पर्वतमालिका में गूंजी।
रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत गोवा के कला एवं संस्कृति संचालनालय द्वारा प्रेषित ‘‘ताल तरंग से हुई। इस प्रस्तुति में गोवा का लोक वाद्य घुम्मट, समेळ, ताशा, तबला, पखावज, कसालें, वायलिन तबला तरंग आदि वाद्यों के साथ वेस्टन ड्रम का प्रयोग कलात्मक ढंग से किया गया। इस अवसर पर अरूणाचल प्रदेश का ब्रो-जाई नृत्य पूर्वांचल की माटी की मीक लेकर आया। पर्वतों पर छाई हरियाली से उन्मादित हो मिसी जाति की महिलाएं यह नृत्य करती हैं। नृत्य में मिसी जनजाति की बालाओं की भाव भंगिमाएं व अंग विन्यास दर्शकों को रास आया। कार्यक्रम में कर्नाटक का करघा कोलट्टा जहां आकर्षक व जोशपूर्ण पेशकश रही वहीं उत्तराखण्ड का घसियारी नृत्य वहां कृषि समुदाय के लोगों की संस्कृति को दर्शाने वाली प्रस्तुति रही।
तीसरे दिन की शाम कार्यक्रम में कल्पतरू गुहा द्वारा प्रस्तुत माइम को दर्शकों ने रूचि से देखा। गुहा ने क्रिकेट के दृश्यों तथ एक्शन्स को अपनी भाव भंगिमाओं से दर्शाया। छत्तीसगढ़ की मुरिया जनजाति के गौंड माडिया नृत्य की मंथर थिरकन से दर्शकों ने पसं की। इस अवसर पर ही गोवा को गौफ नृत्य में रंगन पट्टिकाओं का लयकारी के साथ गुंथन नवाकर्षण रहा। कार्यक्रम में इसके अलावा ऑडीशा सरकार के सौजन्य से प्राप्त गोटीपुवा नर्तकों ने बंधा प्रस्तुत किया। अन्य प्रस्तुतियों में पुरूलिया छाऊ, डांग, भपंग वादन, लाम्बरा उल्लेखनीय हैं।