उदयपुर, आकाशवाणी तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत् गुरूवार 26 जून की शाम को रेल्वे टेªनिंग संस्थान सभागार में शाम ए गजल की महफिल सजी जिसमें ख्यातनाम ग़ज़ल गायकों ने मशहूर शायरों के कलाम पेषकर आमंत्रित श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
शाम ए ग़ज़ल के आरंभ में कलाकारों का स्वागत करते हुए उपनिदेशक (कार्यक्रम) श्री माणिक आर्य ने कहा कि ग़ज़ल गायकी का फ़न हर किसी के नसीब में नही होता, क्योकि ग़ज़ल गायकी वो विधा है जिसमें शास्त्रीय संगीत की लयात्मक गणित, सुगम संगीत की नज़ाकत भरी स्वर लहरियां और लोक संगीत के अल्हडपन का का मस्ती भरा माधुर्य होता है।
शाम ए ग़ज़ल का आगाज स्थानीय ग़ज़ल गायक डॉ. देवेन्द्र हिरण और डॉ. प्रेम भंडारी के जुगलबंदी से हुआ जिसमें उन्होने सुरेन्द्र चतुर्वेदी के कलाम दिये है उसने कई इम्तिहान बचपन में, के जिसकी काटी गई जुबान बचपन में सुनाई। उसके बाद डॉ. देवेन्द्र हिरण ने शमीम जयपुरी का कलाम इष्क पे जब शबाब होता है, सारा आलम शराब होता है और ज़मीर काज़मी का कलाम रिवाजों रस्म निबाहने की क्या जरूरत है, मेरे हो तुम तो जमाने की क्या जरूरत है सुनाकर दाद बटोरी। उदयपुर के ही प्रसि़द्ध ग़ज़ल गायक डॉ. प्रेम भंडारी ने केसर उल जाफरी की नज्म पेश की जिसमें झूठी बात नही है यारो सच्ची राम कहानी है थोड़ी हमने खुद लिख दी है थोड़ी और लिखवानी है तथा अपनी खुद की ग़ज़ल- घटा जाने कब कहां से बरसे वो निकले ही नही इस डर से, घर से सुनाकर वाहवाही लूटी। कोटा के मशहूर ग़ज़ल गायक रोशन भारती ने डॉ. सागर फराज के कलाम से शुरूआत की -उसके हंसते चेहरे से तो ऐसा लगता है शायद उसको मेरा मिलना अच्छा लगता है और शाहिद कबीर का कलाम बेसबब बात बढ़ाने की जरूरत क्या है हम खफा कब थे मनाने की जरूरत क्या है सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। महफिल में मुम्बई के प्रख्यात् ग़ज़ल गायक घनश्याम वासवानी, ने निदा फाजमी के कलाम से-अपनी-अपनी सीमाओं का बंदी हर पैमाना है, उतना ही दुनिया को समझा जितना खुद को जाना है। और शहरयार के कलाम – शम्मे दिल शम्मे तमन्ना ना जला मान भी जा, तेज़ आंधी है मुखालिफ है हवा, मान भी जा को तरन्नुम में सुनाकर श्रोताओं मंत्र मुग्ध कर दिया।
इस कार्यक्रम में ग़ज़ल गायकों के साथ संगत कलाकारों ने तबले पर रशीद अहमद व वसीम जयपुरी, संतुर पर अनवर हुसैन, सितार पर नियाज हुसैन और नरेश वैयर तथा सांरगी पर मोईनुद्दीन व इकराम कलावत ने साथ दिया। कार्यक्रम का संयोजन कार्यक्रम अधिकारी विनोद शर्मा व संचालन पूर्व सहायक निदेषक,महेन्द्र मोदी ने किया। कार्यक्रम के अंत में निदेषक अभियात्रिकी एवं केन्द्राध्यक्ष राजेन्द्र नाहर ने आभार व्यक्त किया।
शाम ए ग़ज़ल में गूंजे मशहूर फनकारो के तराने
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