मुंबई की सत्र अदालत ने शुक्रवार को शक्ति मिल में एक महिला पत्रकार के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले के चार दोषियों में तीन को फांसी और एक को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है. फांसी पाने वाले दोषियों को धारा 376(ई) के तहत फांसी की सजा दी गई है.
भारतीय दंड विधान की धारा 376 (ई) के तहत फांसी की सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है.
फांसी पाने वाले तीनों दोषियों को शक्ति मिल में एक महिला टेलिफ़ोन ऑपरेटर के साथ बलात्कार मामले में पहले ही उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई जा चुकी थी.
गुरुवार को अदालत ने इन तीनों अभियुक्तों को धारा 376 (ई) के तहत ‘आदतन अपराधी’ मानते हुए दोषी क़रार दिया था.
अदालत ने विजय जाधव (19 वर्ष), मोहम्मद क़ासिम शेख (21 वर्ष) और मोहम्मद अंसारी (28 वर्ष) को दोनों मामलों में दोषी क़रार दिया था. इन तीनों को दोबारा बलात्कार का दोषी होने के कारण फांसी की सज़ा दी गई. इस मामले के चौथे दोषी सिराज रहमान खान को टेलीफ़ोन ऑपरेटर के मामले में शामिल न होने के कारण उम्रक़ैद की सज़ा दी गई.
मुंबई की शक्ति मिल के पास 22 अगस्त 2013 को पाँच लोगों ने 22 वर्षीय महिला पत्रकार का बलात्कार किया था. महिला अपने एक पुरुष सहकर्मी के साथ एक असाइनमेंट पर गई थी.
नाबालिग अभियुक्त
पत्रकार के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में कुल पांच अभियुक्त थे. पांचवे अभियुक्त के नाबालिग होने के कारण उस पर अलग से मुक़दमा चल रहा है.
शक्ति मिल में ही जुलाई, 2013 में हुए 18 साल की टेलिफ़ोन ऑपरेटर के साथ बलात्कार के मामले में स्थानीय अदालत ने चार दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
इस मामले के आरोपी कासीम शेख उर्फ कासीम बंगाली, विजय जाधव और सलीम अंसारी को गुरुवार को मुंबई सत्र न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश शालीनी फनसालकर जोशी ने धारा 376 (ई) के तहत दोषी क़रार दिया था.
इस पुरे मामले की तफ्तीश और सुनवाई मात्र सात महीनों में पूरी कर, आरोपियों को सजा सुनायी गई.
शुक्रवार सुबह सुनवाई शुरु होते ही, अभियोग पक्ष के विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत से कहा कि तीनों आरोपी टेलिफ़ोन आपरेटर महिला के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में पहले भी दोषी क़रार दिए गए हैं.
वहीं बचाव पक्ष के वकीलों की दलील देने की अर्जी अदालत ने ख़ारिज कर दी. बचाव पक्ष का कहना था की इस अपराध के वक़्त विजय जाधव नाबालिग था. बचाव पक्ष ने धारा 376 (ई) के तहत दायर गुनाहों की वैधता पर किसी वरिष्ठ वकील से चर्चा करने की अनुमती मांगी और सुनवाई सोमवार तक टालने की मांग की. लेकिन अदालत ने यह मांग भी ख़ारिज कर दी.
आदतन अपराधी
इन तीनों आरोपियों को टेलीफोन आपरेटर महिला के सामूहिक बलात्कार के जुर्म में दोषी होने का आधार लेते हुए सरकारी वकील ने अदालत से इन्हें सख़्त से सख़्त सजा देने की माँग की थी
निकम ने कहा, “महिलाओं पर दुष्कर्म का यह अपने तरह का पहला ऐसा मामला है जिसमें इतने कम समय में अभियुक्तों को सजा मिली है. इन तीन आरोपियों को आदतन मुजरिम मानते हुए फांसी की सजा सुनायी गई है.”
उन्होंने कहा, “मैं इसका स्वागत करता हूं. इस निर्णय से इस तरह के गुनहगारों के लिये एक कड़ा संदेश जाएगा.”
शुक्रवार को सुनवाई की शुरुआत में ही अभियुक्तों के लिये फांसी के सजा की मांग करते हुए इसके लिये 10 कारण दिए गए. इन कारणों में इन अभियुक्तों की अपराधिक पृष्टभूमि, अपराध की बर्बरता और उनका यह स्वीकार करना कि उन्होंने शक्ति मिल में कई बार ऐसा गुनाह किया है लेकिन किसी ने उन्हें पकड़ा नहीं.
इस दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने बंबई उच्च न्यायालय जाकर इसका विरोध किया था लेकिन 27 मार्च को उच्च न्यायालय ने वह अर्जी खारीज कर दी थी.
सो. बी बी सी